उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने कहा कि जिला के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाना प्रशासन की प्राथमिकता है। इसको लेकर जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को लगातार पेयजल की सैंपलिंग करते रहना चाहिए।
वहीं स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों सहित अन्य आवश्यक जगहों पर नियमित रूप से पेयजल की जांच कर उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। उपायुक्त ने जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि वे सभी गांवों में सरपंचों को पत्र जारी कर सभी वाटर वर्क्स में पेयजल जांच की किट की उपलब्धता होना सुनिश्चित करें।
विभाग की टीम से सभी सरपंच गांवों में अपने समक्ष पेयजल की जांच करवाएं। उपायुक्त ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वे अपने अधीन कर्मचारियों को पेयजल सैंपलिंग की सम्पूर्ण जानकारी देने के लिए सेमिनार का आयोजन भी करवाएं। इसके अलावा उपायुक्त ने पब्लिक हैल्थ के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि पानी की सैंपलिंग एंडिंग प्वाइंट (आखरी छोर) पर ही की जाए।
इसके अलावा महाग्राम में जो सडक़ मार्ग पब्लिक जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग की तरफ से पेयजल लाइन बिछाने के लिए तोड़े गए थे, उन्हें दोबारा से मरम्मत करवाकर सही करवाने से संबंधित रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाए। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन पानी पर जीरो टोलरेंस की नीति से कार्य कर रहा है।
यदि पानी स्वच्छ होगा तो बहुत सी बीमारियों से लोगों को दूर रखा जा सकता है। इसके साथ-साथ उन्होंने आमजन से आह्वान किया कि जल बहुमूल्य संसाधन है। इसे बनाया नहीं जा सकता, केवल संरक्षित किया जा सकता है। इसलिए पानी को किसी भी हाल में व्यर्थ न बहाएं। वहीं उन्होंने गर्मी के मौसम को देखते हुए तालाबों, जोहड़ों में भी पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर डीडीपीओ उपमा अरोड़ा, जिला शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार बघेल, सिविल सर्जन डा. जय भगवान जाटान, पब्लिक हेल्थ के एसडीओ लखन सिंह, जिला समन्वयक कुसुम जांगड़ा सहित संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
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