नई दिल्ली/ चंडीगढ़ / फरीदाबाद - दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीख का आज केंद्रीय चुनाव आयोग ने एलान कर दिया। अब देश भर के अधिकतर बड़े भाजपा नेताओं को दिल्ली की सर्दी में देश के लोग गरम होता दिखेंगे। जहाँ -जहाँ भाजपा की सरकारें हैं उन राज्यों के तमाम बड़े नेता अब दिल्ली में दिखेंगे। हरियाणा के तमाम बड़े भाजपा नेताओं को दिल्ली की अधिकतर विधानसभा सीटों पर बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गईं हैं इसलिए हरियाणा में अब राजनीतिक गलियाओं में चर्चाएं हैं कि क्या प्रदेश में आठ नगर निगमों, चार नगर परिषदों और 22 नगर पालिकाओं के चुनाव फिर लटका दिए जाएंगे।
आपको बता दें कि हरियाणा में कुल 11 नगर निगम हैं, जिनमें-यमुनानगर, करनाल, पानीपत, रोहतक, हिसार, गुरुग्राम और फरीदाबाद का कार्यकाल पूरा हो चुका है। फरीदाबाद में सबसे ज्यादा समय से चुनाव लटके पड़े हैं। 8 जनवरी 2017 को पिछले निगम चुनाव हुआ था और कल 8 जनवरी है , कल के बाद चुनाव का लटकाव चौथे साल में प्रवेश कर जाएगा। इस मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट चुनाव करवाने के आदेश दे चुका है। हरियाणा म्यूनिसिपल एक्ट-1994 के अनुसार निगम पार्षदों का कार्यकाल समाप्त होने के 6 महीने में चुनाव करवाना जरूरी है. लेकिन कई जगहों पर लंबे समय से चुनाव नहीं हुए हैं इसलिए हरियाणा सरकार सवालों के घेरे में है क्यू कि फरीदाबाद में तो तीन साल से चुनाव लटके हैं।
आज दिल्ली विधानसभा चुनाव तारीख के एलान के बाद अब हरियाणा में राज्य चुनाव आयोग की प्रेस वार्ता का इन्तजार है और अगर इस हफ्ते हरियाणा चुनाव आयोग खामोश रहा तो संभव है चुनाव लटक जाएँ जो दो तीन महीने लटक सकते हैं। सबसे बड़ा नगर निगम फरीदाबाद का है और यहाँ अगले महीने एक अंतर्राष्ट्रीय मेला है जहां फरीदाबाद के हजारों पुलिसकर्मियों के साथ -साथ आस पास के जिलों के पुलिसकर्मी भी ड्यूटी पर तैनात किये जाते हैं। उसके बाद मार्च में बोर्ड परीक्षा और फिर ऐसे में अप्रैल में ही चुनाव करवाए जा सकते हैं।
इस बार भाजपा हर हालत में दिल्ली में केजरीवाल का किला ढहाना चाहती है जो 10 साल से ज्यादा समय से दिल्ली में ? भाजपा के लिए दिल्ली में 27 साल से सूखा पड़ा है और ऐसे समय में जब भाजपा ने देश के बड़े -बड़े राज्यों को फतह कर लिया तो दिल्ली में सत्ता का अकाल क्यू पड़ा है ? इस समय जब पीएम मोदी का डंका बज रहा है लेकिन बंगाल , हाल में झारखंड और पंजाब -दिल्ली में इस डंके का ख़ास असर नहीं। इसलिए भाजपा अब दिल्ली में पूरी ताकत झोंकने जा रही है। अगर दिल्ली में भाजपा को कामयाबी मिलती है तो पीएम मोदी का ग्राफ बढ़ेगा लेकिन अगर केजरीवाल फिर दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब होते हैं तो पीएम मोदी का ग्राफ राकेट की रफ़्तार से गिरेगा। इसलिए आने वाले दिनों में दिल्ली में वो सब दिखेगा तो आजादी के बाद आज तक किसी भी चुनाव में नहीं दिखा। अगर हरियाणा में निकाय चुनाव लटके तो दिल्ली विधानसभा चुनाव इसका सबसे बड़ा कारण होगा।
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