चंडीगढ़ - हरियाणा में फिलहाल निकाय चुनावों की चर्चाएं तेज हैं। प्रदेश में आठ नगर निगम, चार नगर परिषद और 23 नगर पालिकाओं के चुनाव दो चरणों में करवाए जाने हैं जिसकी तैयारियां जोर शोर से चल रहीं हैं। निगम चुनावों में मेयर पद के लिए डायरेक्ट चुनाव होने हैं और सत्ताधारी भाजपा इन चुनावों के लिए पूरी तरह से तैयार है। जहां चुनाव होने हैं वहाँ के मंत्रियों -सांसदों , विधायकों को ख़ास जिम्मेदारियां सौंपी जा चुकी हैं। सभी 90 विधानसभा सीटों पर धन्यवादी दौरे के दौरान मुख्यमंत्री नायब सैनी पहले वहाँ का दौरा करेंगे जहां निकाय चुनाव होने हैं।
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस अब भी उसी राह पर है जिस राह पर प्रदेश में 10 वर्षों से ज्यादा समय से चल रही है। जैसे संगठन बनाने की बात हो तो दिल्ली में चिट्ठी अटक जाती है। नेता प्रतिपक्ष की बात हो तब भी दिल्ली में चिट्ठी फंस चुकी है और अब निकाय चुनावों के लिए हाईकमान को चिट्ठी भेजी गई कि पार्टी प्रदेश में निकाय चुनाव अपने चुनाव चिन्ह पर लड़े या निर्दलीयों का साथ दे तो ये चिट्ठी भी दिल्ली पहुँच फंस चुकी है।
आम आदमी पार्टी की बात करें तो पहली बात तो उनके पास हरियाणा में इतने उम्मीदवार नहीं दिख रहे हैं जितने नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों में मैदान में उतरेंगे। पार्टी कई वर्षों से हरियाणा में खाता खोलने के लिए तरस रही हैं। उधर दिल्ली में विधानसभा चुनाव हैं और सारा फोकस दिल्ली पर है। ऐसे में पार्टी के उम्मीदवार विधानसभा चुनावों की तरह वोट कटुआ ही साबित हो सकते हैं और बहुत कम उम्मीदवार ही जमानत बचा पाएंगे -अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो सकती है।
हाल में पूर्व सीएम ओपी चौटाला के निधन के बाद इनेलो के बारे में फिलहाल कुछ नहीं का जा सकता कि इनेलो किस तरह निकाय चुनावों में मैदान में उतरेगी। जेजेपी के पास भी अब कुछ ख़ास नहीं रहा। विधानसभा चुनावों में जेजेपी के तमाम बड़े नेता जमानत भी नहीं बचा सके और अब जेजेपी के अधिकतर कार्यकर्ता दूसरी पार्टियों में चले गए हैं। इसलिए निकाय चुनावों में जेजेपी को भी कुछ ख़ास नहीं मिलने वाला है। हो सकता है एक हफ्ते के अंदर चुनावों की तारीखों की घोषणा हो जाए। ऐसा हुआ तो भाजपा बाजी जीत सकती है क्यू कि सीएम सैनी फिलहाल अच्छी बैटिंग कर रहे हैं।
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