नई दिल्ली / फरीदाबाद - जिस तरह से कफ़न विक्रेताओं को कफ़न खरीदने वालों का इन्तजार रहता है। गाड़ी विक्रेताओं को गाड़ी खरीदने का और अन्य -अन्य -अन्य, एक पुरानी कहावत है कि वर मरे या कन्या उन्हें अपनी दक्षिणा से काम, ऐसी तमाम कहावतें हैं दुःख में भी कमाई का साधन ढूंढने लगते हैं। लगभग चार साल पहले आई महामारी के दौरान मेडिकल और अन्य माफियाओं ने आपदा को अवसर में तब्दील कर लिया था। जुकाम का इलाज पांच लाख तक का हो गया था। शिकायतों के बाद भी कार्रवाई न के बराबर हुई। दिल्ली -एनसीआर में अब फिर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) तीन लागू कर दिया गया है। इसके पहले ग्रेप चार लागू किया गया था। बढ़ते प्रदूषण के कारण ग्रेप लागू किया गया है लेकिन ऐसे मौके का कुछ विभाग के अधिकारी इन्तजार भी करते रहते हैं और जमकर वसूली करने लगते हैं।
ग्रेप -3 और ग्रेप -4 लागू होने पर फरीदाबाद में भी वसूली शुरू हो जाती है और ख़ास सूत्रों की मानें तो फरीदाबाद के पाली क्रेशर जोन में सम्बंधित विभागों द्वारा ये वसूली की जाती है और क्रेशर मालिकों से ये वसूली होती है। ख़ास सूत्रों की मानें तो माइनिंग विभाग और अन्य सम्बंधित विभाग की मिली भगत से ग्रेप -3 और ग्रेप -4 के तहत लगी पाबंदियों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। ग्रेप -3 और ग्रेप -4 लागू होने के बाद यहाँ तमाम क्रेशर भी चलते हैं और ट्रकें, डम्फर चलते रहते हैं। ऐसा सम्बंधित अधिकारियों की मिलीभगत से संभव होता है। कार्रवाई तो गरीबों पर होती है , चालान गरीबों के काटे जाते हैं जो बड़ी मुश्किल से एक कमरे का निर्माण वगैरा कर रहे होते हैं।
इस बार नवम्बर से लेकर अब तक कई बार दिल्ली -एनसीआर में ग्रेप -3 और ग्रेप -4 लागू हुआ लेकिन बड़े लोगों के कितने चालान काटे गए। फरीदाबाद में खनन विभाग कहाँ गायब रहा? बड़े सवाल उठने लगे हैं। अब भी ग्रेप -3 और ग्रेप -4 फिर लागू हुआ है। देखते हैं कल से कितने वाहन , डम्फर वगैरा चलते हैं। कितनों का चालान काटा जाता है और क्रेशर जोन में कितने क्रेशर खामोश रहते हैं या चलते रहेंगे। चौंकाने वाली रिपोर्ट एक दो दिन में आप तक पहुंचाने का प्रयास रहेगा। कुछ सबूत मिले हैं लेकिन कुछ और सबूतों का इन्तजार है।
ग्रेप तीन के तहत इन कार्य पर रहेगी पाबंदी
-पूरे एनसीआर में धूल पैदा करने वाली व वायु प्रदूषण फैलाने वाली सीएंडडी गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध रहेगा।
-बोरिंग और ड्रिलिंग कार्यों सहित खुदाई और भराई के लिए मिट्टी का काम।
-पाइलिंग कार्य, सभी विध्वंस कार्य।
-ओपन ट्रेंच सिस्टम द्वारा सीवर लाइन, पानी की लाइन, ड्रेनेज और इलेक्ट्रिक केबलिंग आदि बिछाना।
-ईंट/चिनाई कार्य।
-प्रमुख वेल्डिंग और गैस-कटिंग कार्य, हालांकि, एमईपी (मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और प्लंबिंग) कार्यों के लिए छोटी वेल्डिंग गतिविधियों की अनुमति दी जाएगी।
-सड़क निर्माण गतिविधियां और प्रमुख मरम्मत।
-परियोजना स्थलों के भीतर व बाहर कहीं भी सीमेंट, फ्लाई-ऐश, ईंट, रेत, पत्थर आदि जैसी धूल पैदा करने वाली सामग्रियों का स्थानांतरण, लोडिंग/अनलोडिंग।
-कच्ची सड़कों पर निर्माण सामग्री ले जाने वाले वाहनों की आवाजाही।
-विध्वंस अपशिष्ट का कोई भी परिवहन।
नए जोड़े गए नियम
- बीएस-3 स्टैंडर्ड या इससे नीचे के मीडियम गुड्स वीकल (एमजीवी) अब दिल्ली में नहीं चल सकेंगे। जरूरी सामान लेकर आ रहे एमजीवी को इसमें छूट दी गई है।
- बीएस-3 और इससे नीचे के मीडियम गुड्स करियर जो दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड हैं, उन्हें दिल्ली में नहीं आने दिया जाएगा। जरूरी सामान से जुड़े वाहनों इसमें शामिल नहीं हैं।
- एनसीआर से आने वाली इंटरस्टेट बसों को दिल्ली में नहीं आने दिया जाएगा। इलेक्ट्रिक बसों, सीएनजी बसों और बीएस-6 डीजल बसों को इसमें छूट दी गई है। साथ ही ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट वाली बसों, टेम्पो ट्रैवलर को भी छूट दी गई है।
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