इसके अलावा अब सडक़ हादसों में घायल व्यक्ति को अस्पताल में पहुंचाने पर 25000 रुपए तक की राशि इनाम स्वरूप दिए जाने का प्रावधान भी है। जिला उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ शुक्रवार को जिला सचिवालय स्थित सभागार में सडक़ सुरक्षा समिति और सुरक्षित वाहन पॉलिसी को लेकर आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को दिशा-निर्देश दे रहे थे।
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि केंद्र सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 के तहत मोटर वाहनों के उपयोग से होने वाली सडक़ दुर्घटनाओं के पीडि़तों को नकद रहित उपचार प्रदान करने के लिए कैशलेस उपचार योजना शुरू की है।
उन्होंने कहा कि सडक़ हादसे में कोई भी पीडि़त नागरिक आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) के तहत आघात और बहु-आघात के लिए स्वास्थ्य लाभ पैकेज के अनुसार दुर्घटना की तिथि से अधिकतम 7 दिनों की अवधि के लिए प्रत्येक दुर्घटना के लिए प्रति 1.5 लाख रुपये तक कैशलेस इलाज का हकदार है।
उपायुक्त ने बताया कि सरकार की उक्त योजना का उद्देश्य सडक़ दुर्घटनाओं के पीडि़तों को समय पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है, जिसमें गोल्डन ऑवर भी शामिल हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) पुलिस व स्वास्थ्य विभाग आदि के साथ समन्वय से इस योजना का क्रियान्वयन करना सुनिश्चित किया जाएगा। यह योजना किसी भी श्रेणी की सडक़ पर मोटर वाहन के उपयोग के कारण होने वाली सभी सडक़ दुर्घटनाओं पर लागू रहेगी।
उपचार प्रदान करने के लिए अस्पतालों द्वारा उठाए गए दावों की प्रतिपूर्ति मोटर वाहन दुर्घटना निधि से की जाएगी। इस योजना को सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के ई-डीएआर एप्लीकेशन और एनएचए के ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम (टीएमएस) की कार्यक्षमताओं को मिलाकर एक आईटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से लागू किया जाएगा।
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने कहा कि सडक़ सुरक्षा अहम मुद्दा है। सडक़ दुर्घटनाओं को कम करने के लिए विभागों के बीच बेहतर समन्वय होना चाहिए। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि नो पार्किंग जोन में वाहन खड़ा करने वाले वाहन चालकों पर सख्त कार्रवाही करते हुए चालान किए जाएं। उन्होंने कहा कि निर्धारित स्थानों पर साइन बोर्ड के साथ-साथ रिफलेक्टर लाइट व मार्किंग करवानी सुनिश्चित की जाए और ऐसा न करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
उन्होंने कहा कि शहरों के सभी प्रवेश व निकास प्वाइंट पर रोड मार्किंग, सेफ्टी डिवाइस जैसे रोड स्टैंड्स, कैट्स आई लगाई जाए। उन्होंने सडक़ सुरक्षा एजेंडे में शामिल विभिन्न बिंदुओं पर एक-एक कर चर्चा करते हुए जिला की सीमा के भीतर से गुजरने वाले राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों पर अवैध कटों को बंद करवाने और अवैध शराब के ठेकों के साथ-साथ अतिक्रमण के हटवाने के लिए निरंतर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसके अलावा ट्रैफिक नियम तोडऩे वाले वाहन चालकों के चालान काटे जाएं।
उन्होंने कहा कि ओवर स्पीड, मोबाइल यूज, ड्रंकन ड्राइव, सीट बेल्ट आदि से संबंधित चालान अधिक से अधिक किया जाए ताकि आमजन सडक़ सुरक्षा से संबंधित नियमों का गंभीरता से पालन करें। वहीं उन्होंने संबंधित अधिकारियों को सुरक्षित वाहन पॉलिसी के तहत समय-समय पर स्कूलों में जाकर वाहनों की जांच करने के निर्देश देते हुए कहा कि केवल निर्धारित किए गए नोमर्स को पूरा न करने वाले स्कूली वाहनों को ही सडक़ों पर चलने दिया जाएगा।
नियमों की उल्लंधना करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस अवसर पर एसडीएम ज्योति, क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण(आरटीए) सचिव जितेंद्र कुमार सहित संबंधित अधिकारी व एनजीओ के सदस्य आदि मौजूद रहे।
पलवल जिला के इन प्राइवेट अस्पतालों को किया गया है सूचीबद्ध
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि योजना के तहत जिला पलवल के 14 प्राइवेट अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें गुरुनानक अस्पताल, पलवल अस्पताल, गोल्डल अस्पताल, गोयल नर्सिंग होम, श्री साईं अस्पताल, राहुल नर्सिंग होम, सचिन अस्पताल, कॉसमॉस अस्पताल, प्रभा आई अस्पताल, श्री सत्यसाई संजीवनी इंटरनेशनल सेंटर फॉर चाइल्ड हार्ट केयर एंड रिसर्च, मनोज हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर, तुला अस्पताल, गलेक्सी अस्पताल व एटलस अस्पताल शामिल हैं, जहां दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी।
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