इस अवसर पर हेमा कौशिक ने बताया कि बाल विवाह एक ऐसी सामाजिक बुराई है, जो न केवल बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बनाती है, बल्कि उनके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती है। यह प्रथा कानून के खिलाफ होने के साथ-साथ बच्चों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बाल विवाह के खात्मे के लिए महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया व अभियान इस बात का सबूत है कि सरकार इस सामाजिक बुराई की गंभीरता से अवगत है। नन्ही-सी उम्र में ही यदि विवाह होता है तो बच्चों का भविष्य दांव पर लग जाता है।
निर्धारित आयु सीमा पूर्ण होने पर ही विवाह करना चाहिए। इसके लिए कानून विद्यमान है, किंतु फिर भी कुछ लोग बाल विवाह की ओर कदम बढ़ा देते हैं। ऐसे लोगों पर कानूनी शिकंजा कसा जाना जरूरी है, ताकि इस सामाजिक कुरीति पर लगाम लगाई जा सके।
इस अवसर पर डीपीओ मीनाक्षी चौधरी सहित अन्य कई संबंधित विभागों के अधिकारीगण मौजूद रहे।
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