इस अवसर पर स्वामीजी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से आम नागरिक को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया और देवराज के अहंकार को नष्ट किया। इस प्रकार अपने धन जन की रक्षा से प्रसन्न होकर गोप जनों ने भगवान की जय जयकार की। भगवान ने हमें इस लीला के माध्यम से सिखाया कि हमें किसी भी स्थिति में अहंकार से बचना चाहिए। अहंकार हमेशा ही पतन का कारण होता है।
दूसरा हमें समाज के जरूरतमंदों वर्ग की मदद करनी चाहिए। इस प्रकार समाज साथ साथ बढ़ेगा तो सभी समृद्ध होंगे। भगवान ने हमें सिखाया है कि अपनी क्षमता के अनुसार हम सभी को सेवा अवश्य ही करनी चाहिए।
स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य ने बताया कि भगवान की हर लीला हमारे लिए एक संदेश प्रदान करती है। हमें भगवान की लीलाओं को कहानी के रूप में न लेकर जीवन उद्देश्यों के निर्माण के रूप में स्वीकार करना चाहिए।
स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य ने सभी से गोवंश की रक्षा करने और जीवन में गोगव्यों को प्रयोग में लाने की बात भी कही। इस अवसर पर उन्होंने सभी को आशीर्वाद एवं प्रसाद प्रदान किया। सभी ने भगवान के गोवर्धन स्वरूप की परिक्रमा लगाई और सुख समृद्धि की कामना की।
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