इस मौके पर राजेश भाटिया ने सभी को छठ पूजा की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छठ का त्यौहार भारतीय संस्कृति से जुड़ा त्यौहार है, जो कि समूचे भारत वर्ष में पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। उन्होनें छठ से जुड़ी कथा के बारे में बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियव्रत बहुत दुखी थे क्योंकि उनके कोई संतान नहीं थी। उन्होंने महर्षि कश्यप को अपनी समस्या बताई। महर्षि कश्यप ने उन्हें पुत्रेष्टि यज्ञ कराने की सलाह दी। यज्ञ के दौरान, आहुति के लिए बनाई गई खीर रानी मालिनी को खाने को दी गई।
खीर खाने से रानी गर्भवती हुईं और उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया। लेकिन दुर्भाग्य से, बच्चा मृत पैदा हुआ।राजा प्रियव्रत पुत्र के शव को लेकर श्मशान घाट गए और दुख में डूबकर अपने प्राण त्यागने ही वाले थे कि तभी ब्रह्मा जी की मानस पुत्री देवी षष्ठी प्रकट हुईं। देवी ने राजा से कहा, "मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूँ, इसलिए मेरा नाम षष्ठी है।
तुम मेरी पूजा करो और लोगों में इसका प्रचार-प्रसार करो। देवी षष्ठी के कहने पर, राजा प्रियव्रत ने कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को विधि-विधान से उनका व्रत किया। देवी की कृपा से, उन्हें जल्द ही एक स्वस्थ पुत्र की प्राप्ति हुई। राजा ने पुत्र को पुन प्राप्त करने के बाद नगरवासियों को षष्ठी देवी का प्रताप बताया। तब से पष्ठी देवी की आराधना और उनके व्रत की शुरुआत हुई।
इस कार्यक्रम में डॉक्टर देवेंद्र बक्शी, डॉ अनुपम बक्शी, सचिन भाटिया, संदीप भाटिया, गगन अरोरा, रिंकल भाटिया, अमित नरूला, आशु आशीष, रविंद्र गुलाटी, करण, सीताराम, राजेश, विष्णु, अनुज, शंकर, अभिषेक, विजय, जसवंत, पवन, मनोहर,अशोक व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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