राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि सीएजी समय के साथ शासन और लोक प्रशासन के गतिशील परिदृश्य के अनुरूप विकसित हुआ है। जो केवल त्रुटियाँ खोजने वाली संस्था नहीं रही है अपितु संस्था इस धारणा को बदल कर उन्नति के उद्देश्य से प्रणालीगत सुधार की दिशा में मजबूत रूप में कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि ऑडिटिंग उत्तरदायित्व तय करने का एक तंत्र मात्र नहीं है बल्कि यह एक परिवर्तनकारी शक्ति है। सार्वजनिक संस्थानों के कामकाज में पारदर्शिता लाकर, ऑडिटिंग एक महत्वपूर्ण फीडबैक देने की व्यवस्था के रूप में भी कार्य कर रही है।
बंडारू दत्तात्रेय ने भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग की सराहना करते हुए कहा के सीएजी ने अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डेटा एनालिटिक्स और भौगोलिक सूचना प्रणाली जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाया है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संचालित साधन अब बड़े-बड़े डेटासेट में विसंगतियों का पता लगाने में मदद करते हैं, जिससे अधिक सटीक और समय पर मूल्यांकन संभव हो पाता है। इस तकनीकी विकास ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के लिए पर्यावरणीय स्थिरता और साइबर सुरक्षा जैसे जटिल क्षेत्रों से निपटने के लिए हमारे लेखा परीक्षकों को सशक्त बनाया है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी महत्वाकांक्षी पहलों पर सरकार तेजी से काम कर रही है। ऐसी पहलों को मजबूती प्रदान करने और पूरी पारदर्शिता के साथ कार्य करने में सीएजी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। भविष्य में भी सीएजी का यह संगठन, राष्ट्र-निर्माण में एक विश्वसनीय भागीदार बना रहेगा।
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