उन्होंने आरटीआई के दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि कॉलेज में पूर्व प्रिंसिपल रुचिरा खुल्लर ने एक कमेटी गठित कर कॉलेज के छात्र छात्राओं से फाइन एकत्रित करने को कहा जिसमें कमेटी ने करीब सवा तीन लाख रुपए फाइन एकत्रित किया लेकिन जब क्लर्क ने उस फाइन को कॉलेज प्रिंसिपल रुचिरा खुल्लर से बैंक अकाउंट में जमा कराने के लिए पूछा तो प्रिंसिपल ने अकाउंट में जमा कराने को लेकर कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
जब पूर्व प्रिंसिपल का तबादला हुआ और नए प्रिंसिपल ने चार्ज संभाला तो इस मामले में एक शिकायत प्राप्त हुई तो इसकी जाँच के लिए एक कमेटी बनाई गई। कमेटी को इस मामले में अनेक कमियां मिली और राशि में भी अंतर मिला। आरटीआई के जवाब में अभी तक यह भी क्लियर नहीं है कि उस फाइन की राशि का क्या हुआ है और इतने महीनों तक उस राशि को अकाउंट में जमा ना करवाने के पीछे क्या मंशा रही।
कृष्ण अत्री ने कहा कि इसके अलावा एक और बड़े मामले का खुलासा आरटीआई के माध्यम से हुआ है जिसमें पता चला कि कॉलेज में पिछले 50 वर्षों से रखा कबाड़ (अलमारियां, बेंच, टेबल, संदूक व अन्य सामान ) और पुराने दस्तावेज भी बिना किसी परमिशन के पूर्व कॉलेज प्रिंसिपल ने बेच दिए जिससे लाखों रुपए का कॉलेज प्रशासन को नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रिंसिपल द्वारा कॉलेज का कबाड़ व पुराने दस्तावेजों को कबाड़ में बेचे जाने और इससे प्राप्त राशि का कोई भी रिकॉर्ड कॉलेज में उपलब्ध नहीं है। यह भी लाखों रुपए का गबन प्रतीत होता है।
आरटीआई के माध्यम से यह भी पता चला कि विक्टोरा ऑटो प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कॉलेज को 75000 रुपए की डोनेशन दी गई थी जिसे कॉलेज के एक क्लर्क ने बैंक से कैश निकलवा कर पूर्व प्रिंसिपल रुचिरा खुल्लर को दे दिया था। इसके बाद इस राशि का कहां प्रयोग किया इसका भी कॉलेज में कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। यह भी एक बड़ा घोटाला ही नजर आ रहा है जिसमें कॉलेज के छात्र छात्राओं के हक़ के पैसों का गबन किया गया है।
कृष्ण अत्री ने बताया कि आरटीआई में यह भी स्पष्ट हुआ कि कॉलेज में एचकेआरएन के अतिरिक्त लगाए गए चौकीदार की नियुक्ति एवं एक क्लर्क की पुर्ननियुक्ति के लिए भी पूर्व प्रिंसिपल ने कमेटी तो गठित की थी लेकिन उस कमेटी से इन नियुक्तियों के बारे में ना तो पूछा गया और ना ही उस कमेटी ने इन नियुक्तियों के लिए संस्तुति दी। पूर्व प्रिंसिपल ने स्वंय ही नियुक्ति कर दी इसमें भी नियमों की उल्लंघना की गई है।
कृष्ण अत्री ने कहा कि यह तो सिर्फ वह मामले हैं जो आरटीआई के माध्यम से उजागर हो गए है लेकिन हो सकता है कि ऐसे और भी अनेक मामले हो जो अभी उजागर ना हुए हो। उन्होंने कहा कि ईमानदारी का ढ़ोल पीटने वाली इस भाजपा सरकार में इस प्रकार के घोटाले हो रहे हैं यह बड़े शर्म की बात है।
जब यह घोटाले हुए उस समय भी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की ही सरकार थी और आज भी उन्ही की सरकार है जिसमें सरकारी कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के हक़ के पैसों का कॉलेज की प्रिंसिपल द्वारा ही गबन किया गया। उन्होंने कहा कि अब देखने वाली बात यह है कि जो यह घोटाला उजागर हुआ है उस पर यह तथाकथित ईमानदार भाजपा सरकार भ्रष्टाचारियों के खिलाफ क्या कोई ठोस कदम उठाएगी या नहीं या फिर सिर्फ यूं ही ईमानदारी का ढ़ोल पीटते रहेंगे और भ्रष्टाचारी भ्रष्टाचार करते रहेंगे।
प्रेसवार्ता के दौरान छात्रनेता आरिफ खान, अजय राजपूत, कुणाल चौधरी, आरिफ मसूदी, देव चौधरी, प्रवीण भारद्वाज, अभिराज, सत्यम, रवि शर्मा, अमित शर्मा, सुमित तंवर, ललित यादव आदि मौजूद थे।
Post A Comment:
0 comments: