उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से पलवल जिला के किसानों को फसल अवशेष व पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे फसल अवशेष व पराली को जलाने की बजाए इनका उचित प्रबंधन कर सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत मुनाफा कमाएं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों और सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी वाली मशीनों के बारे में जागरूक किया जा रहा है, ताकि किसान फसल अवशेष व पराली जलाने की बजाए इनका उचित प्रबंधन कर कमाई कर सकें।
उपायुक्त ने जिला के किसानों का आगाह किया कि यदि कोई भी किसान फसल कटाई उपरांत अपने खेतों में फसल अवशेष व पराली जलाते है तो वे सावधान हो जाएं। उन्होंने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से फसल अवशेष व पराली जलाने वालों पर हरसेक के माध्यम से नजर रखी जा रही है। पराली जलाने पर पकड़े जाने पर जुर्माना वसूला जाएगा।
उन्होंने कहा कि किसान खेतों में पराली न जलाएं। इस बारे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा जिला में जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा पराली का उपयोग जैविक खाद के तौर पर करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। धान की कटाई उपरांत जिले में कृषि विभाग द्वारा फसल अवशेष व पराली जलाने वालों की निगरानी की जा रही है।
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठï ने बताया कि पलवल जिला में संबंधित एसडीएम की देखरेख में रेड जोन व येलो जोन सहित जिन गांवों में धान की फसल बोई गई है, उन गांवों में गांव अनुसार कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों, गांव के पटवारी, ग्राम सचिव, नोडल अधिकारियों, राजस्व व पंचायत विभाग के अधिकारियों, पुलिस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की इंफोर्समेंट, सुपरविजन व मॉनिटरिंग के लिए ड्यूटी निर्धारित की गई है।
ये गांव किए है रेड व येलो जोन घोषित
जिला के खंड हसनपुर गांव खांबी को रेड जोन घोषित किया गया है। इसी प्रकार होडल खंड के गांव भिडूकी, बांसवा, करमन, सौंद, पेंगलतू तथा हसनपुर खंड के गांव भैंडोली, घसेडा, लिखी और पलवल खंड के गांव असावटा, फरीजाबाद मीसा व पृथला खंड के गांव जनौली, मांदकोल को यैलो जोन में रखा गया है।
ग्रीन जोन में आने पर पंचायत को दी जाती है प्रोत्साहन राशि
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठï ने बताया कि जिला की जो पंचायते रैड और यैलो जोन में हैं अगर वहां पर फसल अवशेषों व पराली में बिल्कुल भी आगजनी नहीं की जाती है तो वह ग्रीन जोन में आ जाती है। इन ग्राम पंचायतों को सरकार की ओर से प्रोत्साहन के स्वरूप धनराशि प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि रैड जोन से ग्रीन जोन में आने पर संबंधित गांव के सरपंच को एक लाख रुपए और यैलो जोन से ग्रीन जोन में आने पर संबंधित सरपंच को 50 हजार रुपए की राशि प्रोत्साहन स्वरूप दी जाती है।
प्रशासन की ओर से जिला में फसल अवशेष व पराली जलाने पर लगाया गया है पूर्णतया प्रतिबंध
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि पलवल जिला में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 की धारा 163 के तहत धान की कटाई के उपरांत फसल अवशेष व पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। उन्होंने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली द्वारा भी फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति आदेश की अवहेलना करते हुए पाया जाता है तो वह बीएनएस की धारा-223 संपठित वायु बचाव एवं प्रदूषण नियंत्रण नियम-1981 के तहत दंड का भागीदार होगा। उन्होंने बताया कि दो एकड़ तक भूमि रकबा में फसल अवशेष या पराली जलाने पर 2 हजार 500 रुपए व तथा 5 एकड़ रकबा में फसल अवशेष जलाने पर 5 हजार रुपए और पांच एकड़ से अधिक रकबा जमीन पर फसल अवशेष जलाने पर 15 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
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