आगरा के एत्माद्दौला क्षेत्र की एक युवती स्थानीय कंपनी में जूनियर इंजीनियर के पद पर 15 जून 2018 से कार्यरत थी। उसने अपने विभाग के जनरल मैनेजर संग्राम किशोर मलिक पर आरोप लगाया कि वह उसके प्रति बदनीयत रखता था। कई बार उसने जबरन शारीरिक संबंध बनाने के प्रयास किए।
विरोध करने पर वह जान से मारने की धमकी देता था। वह यह भी कहता था कि कहीं भी शिकायत कर ले। उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। पीड़िता के अनुसार, संग्राम किशोर मलिक अक्टूबर 2020 से उसे परेशान कर रहा था।
तीन नवंबर 2021 को वह गेट पास साइन कराने उसके आफिस में गई तो जीएम ने उससे छेड़छाड़ कर जबरन शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की। 31 जनवरी 2022 को उसने फिर वही हरकत की। इसके बाद पीड़िता ने एसएसपी से शिकायत की थी। पीड़िता इतनी सहमी हुई थी कि एसएसपी ने तत्काल तत्कालीन सीओ छत्ता से जांच कराई।
पीड़िता से पूछताछ और जांच के बाद एत्माद्दौला थाने में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे। जांच में यह भी पाया गया था कि कंपनी की कई कर्मचारियों के साथ भी वह ब्लैकमेलिंग करता था। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपित को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था। वह दो से तीन दिन जेल में रहा था।
इसके बाद जमानत पर बाहर आ गया था। कंपनी ने भी जांच के बाद उसे कंपनी से बर्खास्त कर दिया था। इधर पीड़िता फरीदाबाद में पॉली मेडिक्योर कंपनी ज्वाइन कर ली गई। आरोपी यहां पर भी जीएम बन गया। उस पर मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव बनाया। दबाव में नहीं आने पर कंपनी के साथ मिलकर उसे निकलवा दिया।
इधर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी थी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां केस की सुनवाई चल रही थी। पीड़िता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रवि अरोड़ा, सौरभ सिंह के द्वारा बहस की गई। दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद शुक्रवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने केस का फैसला सुनाया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अचल प्रताप सिंह ने आरोपी संग्राम किशोर मलिक को 4 वर्ष के कारावास और 11 हजार के अर्थ दंड की सजा सुनाई है। अर्थ दंड अदा न करने की स्थिति में वह तीन माह का अतिरिक्त कारावास भोगेगा।
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