प्रीती भारद्वाज दलाल ने जानकारी देते हुए बताया कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी व डीसीपीयू द्वारा एनसीपीसीआर को बताया गया था कि इस अनाथालय में 29 बच्चियां रह रही हैं, जबकि मौके पर आयोग को 30 बच्चियां दो विभिन्न अनाथालय में रहती हुई मिली। हमने इस मामले में हमने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया कि उन्होंने किस आधार इस एक 22 वर्षीय बालिग लड़की जोकि अनाथ और ब्लाइंड भी है, को बिना किसी लीगल अभिभावक के इस अनाथालय से रेस्टोर किया है। चार महीने पहले पास हुए रेस्टोरेशन ऑर्डर के बाद भी वह बालिग लड़की यहां रह रही है।
जांच टीम को इस परिसर में शेंजोपुरम इंसिट्यूशंस के प्रशासन व संबंधित अधिकारियों द्वारा 2 चाइल्ड केयर होम चलाने की जानकारी दी गयी थी, परन्तु परिसर में 3 अलग-अलग गर्ल चाइल्ड केयर होम पाए गये। तीसरा अनाथालय जिसमे 13 नाबालिग बच्चियाँ थीं, उसे गैकानूनी ढंग से, बिना रजिस्ट्रेशन व अप्रूवल के “पेड हॉस्टल” के रूप में चलाया जा रहा है।
इस बारे अनाथालय प्रशासन से जब पूछा गया तो बताया कि एक “हॉस्टल पेड” है जिसमें गरीब तबके की फ़रीदाबाद एनसीआर इलाक़े की लड़कियां रहती हैं। टीम ने “पेड हॉस्टल” की बच्चियों से बातचीत की। डीसीपीओ व सीडब्ल्यूसी ने इस बारे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। अनाथालय की बच्चियों से आयोग को पता चला कि जुलाई माह में लगभग 10 शादीशुदा लड़कियों को यहाँ पर रखा गया था।
आयोग ने अनाथालयों में रह रहे सभी बच्चों के नवीनतम रिकॉर्ड की भी जांच की तथा अनाथालय के प्रबंधन को आदेश दिए गये, कि जब भी उनसे किसी भी बच्चे से सम्बंधित रिकॉर्ड या दस्तावेज़ मांगे जाए, वे सभी दस्तावेज़ एनसीपीसीआर को उपलब्ध कराएं जाएँगे और जांच में पूर्ण सहयोग करेंगे।
आयोग टीम द्वारा निरीक्षण करने पर किताबों की रैक में धार्मिक ग्रंथ कटे-फटे व अस्तव्यस्त पाये गये, जिस पर आयोग ने कड़ी आपत्ति जताई, जिसके बाद वहाँ उपस्थित ईसाई नन बहनों को उन ग्रंथों को सम्मानजनक रूप से आयोग ने सौंपा। डीसीपीओ का कार्य इस केस में संतोषजनक नहीं पाया गया, जिसपर उचित कार्यवाही के लिए लिखा जायेगा।
शेंजोपुरम अनाथालय की मैनेजमेंट को आयोग ने तलब किया और निरीक्षण के समय इस इंस्टिट्यूशन में उपस्थित किसी भी अधिकारी/कर्मचारी ने किसी भी सवाल का संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया। सभी संबंधित अधिकारी भी बदले जा चुके हैं। प्रीती भारद्वाज दलाल ने कहा कि आयोग इस मामले में बहुत गंभीर है तथा दोषी पाए जाने पर अनाथालय और सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
पुलिस अधिकारियों को अनाथालय प्रबंधन से जुडे तीनों व्यक्तियों की भी जल्द से जल्द तलाश करने के आदेश दिए गये। आयोग ने पुलिस अधिकारियों से भी एफआईआर में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 82 और पोस्को का धारा 15, ना जोड़ने के कारण पूछे गये। पुलिस से भी यह अचूक भूल हुई है।
एनसीपीसीआर की टीम ने अनाथालय में रह रही बच्चियों से भी बात की और उनके कुशल-मंगल, रहन-सहन, पढ़ाई-लिखाई तथा व्यवस्था के बारे में जाना। बच्चियों से बात करने पर पता चला कि अनाथालय द्वारा मार्च महीने में सभी बच्चियों को दूसरे राज्य उत्तराखंड के ज़िले मसूरी में ले जाया गया था। लेकिन शेजोपुरम बाल देखभाल संस्था के पास इस ट्रिप के आयोजन के लिए कोई अनुमति नहीं थी। प्रीती भारद्वाज दलाल द्वारा चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष से इस बारे में पूछताछ करने पर सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष ने बताया कि इस ट्रिप के आयोजन की उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
आयोग ने पाया कि किसी भी बच्ची के रिकॉर्ड फाइल में न ही सीडबल्यूसी के ऑर्डर् और न ही सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट मिली। इसके साथ ही 14 लड़कियों का कोई रिकॉर्ड सीडबल्यूसी या डी सी पी ओ के पास उपलब्ध नहीं है। एनसीपीसीआर ने इस संबंध में भी सीडबल्यूसी से स्पष्टीकरण माँगा है। प्रीती भारद्वाज दलाल ने कहा कि अगर इन मामलों पर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी का जवाब संतोषजनक नहीं मिला तो कमेटी के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही की जाएगी।
इस अवसर पर एसडीएम बल्लभगढ़ मयंक भरद्वाज, एसएचओ रणवीर सिंह, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी अध्यक्ष श्रीपाल कराना, सीडबल्यूसी सदस्य सुनील यादव, जिला बाल संरक्षण अधिकारी गरिमा सिंह तोमर, चांदपुर चोकी इंचार्ज उमेश कुमार, एनसीपीसीआर टीम से सपना यादव, स्वर्णिमा पाण्डेय, शेंजोपुरम इंसिट्यूशंस प्रशासन व चाइल्ड केयर संस्था के प्रतिनिधि सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
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