नई दिल्ली/ चंडीगढ़ - ( पुष्पेंद्र सिंह राजपूत ) हरियाणा मीडिया में जोर शोर से चल रहीं हैं चर्चाएं, कि क्या सुपर सी एम मनोहर लाल के पर कतरे जा रहे हैं? हरियाणा के राजनीतिक प्रशासनिक हलके में भी यह सवाल पूछा जा रहा है। पिछले कुछ दिनों और खासतौर पर अमित शाह की पाली में रैली से तो यही आभास मिलता है। वहा किसी ने भी उनकी चर्चा नहीं की और अमित शाह ने नायब सैनी के गुणगान किए। नायाब सैनी को सी एम बनाने के झटके को मनोहर लाल बरदाश्त नहीं कर पाए थे l वे सी एम की फीलिंग ले रहे थे l काफी दिन तक तो से दिल्ली में हरियाणा भवन में सी एम सूट में डेरा जमाए रहे। . अपने चर्चित पी ए अभिमन्यु को नायाब सैनी का ओ एस डी लगवा दिया। डी सी और एस पी उन्हे हेलीपैड पर रिसीव करने जाते थे। फिर जैसे प्रथा है ओ बी सी अफसर भी मलाईदार पद चाहते थे।
एक पुलिस कमिश्नर के तबादले को लेकर काफी खींचतान रही पर मनोहर लाल की चली। मनोहर लाल के विपरित अपने मिलनसार स्वभाव के कारण नायाब सैनी वर्कर में लोकप्रिय हो रहे थे। फिर उन्होंने मनोहर लाल के कई फैसले भी बदल दिए। मनोहर लाल ने सरपंचों पर लाठी चार्ज करवाया लेकिन नायाब सैनी ने उन्हे गले लगा इकीस लाख रुपए के काम करवाने की अनुमति दी। सी एम निवास के दरवाजे आमजन के लिए खोल दिए। मनोहर लाल के साथ जहां कार्यकर्ता सेल्फी लेने से डरते थे तो वहीं नायब सैनी रात दो बजे कार्यकर्ताओं ही नहीं जनता के लिए अपने दरवाजे खोल दे रहे हैं , सीएम सैनी ने प्रॉपर्टी आई डी की गलती सुधारने के लिए जिलों में डी सी को कैंप लगाने को कहा और आज अग्निवीरों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का बड़ा फैसला लिया।
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने आज जन हित में आज एक और बड़ा फैसला लिया और हरियाणा में अब अगर सड़क पर कोई किसी को टक्कर मार कर भाग जाता है तो केंद्र की तर्ज पर हरियाणा भी सरकार ऐसे मामलों में मुआवजा देगी और सरकार या प्राइवेट अस्पताल में इलाज की सुविधा देगी. सारा खर्चा सरकार करेगी, आने वाले दिनों में सीएम सैनी के नायाब फैसले जारी रहेंगे , सैनी के हर फैसले पर दिल्ली में भी मुहर लग रही है , भूपेंद्र हुड्डा ने लोकसभा चुनावों में प्रचार के दौरान कहा था कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनते ही खट्टर के जन विरोधी फैसले कूड़े के ढेर में डाल देंगे और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने पांच सीटें जीत ली , लगता है सीएम सैनी ने हुडडा का दांव समझ लिया और उनसे पहले ही खट्टर के फैसले बदलने लगे ताकि हुड्डा के पास न रहे बांस और न बजा सकें बांसुरी?
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