श्री सिद्धदाता आश्रम में पांच दिन से चल रहे 17वें ब्रह्मोत्सव का आज समापन हो गया। इस अवसर पर श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम के सभी मंडपों में स्थापित देव विग्रहों की उत्सव मूर्तियों के साथ शोभायात्रा निकाली गई। अधिष्ठाता जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज के सान्निध्य में भक्तों ने खूब आनन्द लिया। स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने सभी को प्रसाद एवं आशीर्वाद प्रदान किया।
उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि जहां भगवान के नाम की चर्चा होती है वहां भगवान की कृपा भी होती है और इस कृपा को पाने के लिए देवता गण भी मौजूद रहते हैं। लेकिन देवताओं को भी इस चर्चा को सुनने के लिए सशरीर बैठने का सौभाग्य प्राप्त नहीं है जबकि मानव को यह अवसर प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि आचार्यों की कृपा से हमें भगवान के नाम सिमरण का अवसर मिलता है जिसे हमें नहीं गंवाना चाहिए। उन्होंने सुंदर और व्यवस्थित आयोजन में भागीदारी करने पर सभी कार्यकर्ताओं एवं भक्तों को शुभाशीर्वाद प्रदान किया।
इस आयोजन में आरा बिहार से आए जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी ज्योतिनारायणाचार्य महाराज, अलवर से आए स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज भी प्रमुखता से मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि श्री सिद्धदाता आश्रम दिव्य स्थान है और यहां से कोई खाली हाथ नहीं जाता। वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी लोगों का मन मोह लिया। देर रात तक चले कार्यक्रम में हजारों भक्तों ने भागीदारी की।
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