भोलेनाथ और भगवान परशुराम के आशीर्वाद और 36 बिरादरी के सहयोग के साथ संघर्ष के बाद समाज को वापिस मिली है | इसके बाद इस केस का कोई औचित्य नहीं रह जाता है | पता नहीं इस केस में कौनसी -कौनसी धाराएँ लगा दी गई है | जबकि वहां कोई मौजूद तक नहीं था |
जयहिंद ने कहा कि भगवान भोले नाथ और भगवान परशुराम के भक्त है उन्हीं के आशीर्वाद से जनता की आवाज उठाने का काम करते है | पहरावर में जमीन नहीं जमीर की बात थी , समाज के मान -सम्मान और स्वाभिमान की बात थी | भगवान परशुराम ने कहा तो फरसा उठा लिया और समाज के हक़ की लड़ाई लड़ी| समाज के ठेकदार उस वक्त घरों में घुस गये थे जब समाज के हक़ की लड़ाई लड़ने की बात आई थी |
अब जब पहरावर की जमीन वापिस समाज को मिल गिया थो मेरे जीवन का एक ही सपना है कि अयोध्या में राम मंदिर और पहरावर में परशुराम मंदिर बने | इसी को लेकर रविवार 19 मई को भगवान परशुराम मंदिर की नींव रखी जाएगी और 121 फीट ऊँची भगवान परशुराम की मूर्ति का निर्माण किया जायेगा| साथ ही आने वाले भक्तों के लिए देशी घी के भंडारा होगा |
जयहिंद ने पत्रकारों द्वारा इतने केस होने से डरने की बात पर कहा कि डरते तो वे यमराज से भी नहीं है | हक़ की लड़ाई के लिए एक क्या हजार केस हो जाये | एक दर्जन तो पहले ही रखे है| ऐसा कौनसा सा नेता है जो जनता की आवाज उठाने के लिए एक महीने दो दो तीन तारीखों पर जाता है |
उन कोई चोरी के केस या छोरी छेड़ने के केस नही चल रहे है | गौ माता के लिए चारा मांगने,प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार मांगने, बाहरियों की भर्ती करने पर, प्रदेश के भाईचारे और नशे खिलाफ कावड़ यात्रा निकलने पर और किसानों की समस्या के समाधान करवाने के लिए केस दर्ज हुए है |
जयहिंद ने कहा कि जब पक्ष राज कर रहा था, विपक्ष खाज कर रहा था तब जनता की लड़ाई उन्होंने लड़ी थी | लोगों की फैमिली आईडी को लेकर, काटे गये BPL राशन कार्ड को लेकर, SYL के मुद्दे को लेकर, बेरोजगारों की बारात ,थारा फूफा जिन्दा है मुहीम, हरियाणा पुलिस के कर्मचारियों के भत्ते को लेकर, कर्मचारियों, सरपंचों की समस्याओं सहित प्रदेश के तमाम मुद्दों पर जनता के साथ सड़कों पर आये | भगवान भोलेनाथ और परशुराम ने बोला है अब जनता को जगाओं और नेताओ से सवाल करो कि आपके लिए आपने नेताओं ने पांच साल में क्या काम किया और आपके समस्याओं के लिए कब आपकी आवाज उठाई |
इस मौके पर एडवोकेट गौरव भारती, एडवोकेट मदन लाल सहित मुनिपाल अत्री, विजेंद्र अत्री आदि मोजूद रहे
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