पत्रकारों के सवालों के जवाब में नवीन जयहिंद ने कहा कि असली फूफा 104 वर्षीय दादी दुलीचंद है जिन्होंने 2 साल पहले"थारा फूफा जिंदा है" कि मुहिम चलाई थी और प्रदेश के लाखों बुजुर्गों, दिव्यांग और विधवाओं की पेंशन बनवाई। सरकारी कागजों में सरकार ने इन्हें मरा हुआ दिखाया था और इसी को लेकर तब इन्होंने संघर्ष किया था और यह अभियान चलाया। लाखों फैमिली आईडी में हुई गड़बड़ ठीक करवाई गई थी। यह अभियान न सिर्फ प्रदेश में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों का विषय बन गया था।
जयहिंद ने आगे कहा कि इस तरह से कोर्ट में आने का एक ही कारण है कि लोगों को याद दिलाया जाए कि असली फूफा दादा दुलीचंद है। ओटीटी प्लेटफॉर्म इनके कंटेंट को कमर्शियल तरीके से यूज कर पैसे कमाने में लगी है। इस वजह से असली फूफा नाराज भी है । उन्होंने ऐप को 24 घण्टे का समय दिया था लेकिन दिन बाद भी उनकी तरफ से कोई जवाब न आने पर असली फूफा ने कोर्ट केस करने का फ़ैसला लिया। कोर्ट में बुधवार को कंटेंट चोरी को लेकर पिटीशन भी दायर की गई है।
जयहिंद ने कहा कि उन्हें न तो कोई पैसे चाहिए ऐप वालो से और न ही कोई फूल माला का सम्मान । उन्हें इस फिल्म से जितनी कमाई हो वो वृद्धाश्रम और गौशाला में दान करें ।
वही जयहिंद ने नीरज चोपड़ा के ब्रांड अंबेसर होने पर कहा कि नीरज चोपड़ा इस ऐप को प्रमोट करते हैं तो वो ऐप वालों से असली फूफा के चुराए गए कंटेंट पर जवाब दे । यह ऐप करोड़ो कमा में रही है। ऐसे में इस तरह की कंटेंट चोरी शोभा नहीं देती।
अगर ऐप वाले असली फूफा से पूछ कर फिल्म बनाते तो शायद वो मना भी नहीं करते। अगर वे इस फ़िल्म से होने वाली कमाई को वृद्धाश्रम में दे रहे है तो उन्हें कोई समस्या नहीं है। उन्हें इस ऐप से कोई रेवेन्यू या पैसा नहीं चाहिए। वही दादा दुलीचंद ने भी मीडिया के सामने कहा कि थारा असली फूफा अभी जिंदा है।
.......इसी में बॉक्स.......
दादा दुलीचंद और नवीन जयहिंद के वकील गौरव भारती ने बताया कि सिविल जज आदित्य यादव ने इस पूरे मामले की सुनवाई की और 12 अप्रैल को ऐप सहित पांच लोगों को हाजिर होने के लिए सम्मन भी भेजा।
एडवोकेट गौरव भारती, एडवोकेट मदन लाल भारतीय, एडवोकेट दीपक कुमार सिसोदिया, एडवोकेट मनीष, एडवोकेट सिद्धार्थ बजाज ने पैरवी की। जयहिंद ने इस पर कहा कि उन्हें न्याय प्रक्रिया पर पूरा विश्वास है असली फूफा को न्याय जरूर मिलेगा।
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