जयहिंद ने बयान जारी कर कहा कि इस बेमौसमी बारिश ने किसान की साल भर की मेहनत को बर्बाद कर दिया है । गेहूं और सरसों की फसल सबसे ज़्यादा इससे प्रभावित हुई है । एक किसान अपनी फ़सल को तिजौरी में भी नहीं रख सकता है । उसके बच्चों की स्कूल-कॉलेज की फ़ीस, घर- ख़र्च सहित अगली फसल के लिए खाद-बीज का ख़र्चा उसे इसी फसल से मिलता ।लेकिन इस बारिश और ओलों ने हज़ारों किसानों और उनके परिवारों के सपनों को तोड़ दिया है ।
जयहिंद ने कहा कि सरकार चुनाव की घोषणा से पहले किसानों को मुआवज़ा दे और जल्द से जल्द फसल बर्बादी का हवाई मुआयना करवायें ।
साथ ही जयहिंद ने प्रकृति में हो रहे बदलाव पर कहा कि इस तरह की बेमौसमी बारिश और बदलते मोसम के लिए कहीं न कहीं हम ख़ुद ज़िम्मेदार है । पेड़ लगाने की बजाए पेड़ काट रहे है और हर प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे है । मानव विकास और हर प्रकार की सुख सुविधा पर तो पूरा ध्यान दे रहे है लेकिन बिगड़ते प्रकृति सन्तुलन को रोकने के किए कुछ नहीं कर रहे है । हम कुदरत की वजह से है न की कुदरत हमारी वजह से ।
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