जयहिंद सेना प्रमुख डॉ नवीन जयहिंद के पास शनिवार को रोहतक तम्बू में एक बुजुर्ग दंपति अपनी पेंशन कटने की समस्या को लेकर पहुंचे। जयहिंद ने बताया कि बुर्जुग दंपति एक फौजी के मां-बाप है जो अब इस दुनिया मे नहीं है । ऐसे में उस फौजी के बाद समाज और सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि उनका सम्मान हो और दुःख सुख में साथ खड़े हो । लेकिन एक शहीद फौजी की मां जिसने अपने कलेजे का टुकड़ा इस देश को दिया आज वो खुद बुढ़ापा पेंशन के लिए धक्के खा रही है और अधिकारी पावर के नशे में चूर है । मुख्यमंत्री कह रहे है कि उनके घर के द्वार जनता के लिए हमेशा खुले है तो इस बुर्जुग माता के लिए क्यों बंद है ।
जयहिंद ने पूरे मामले को पत्रकारों के सामने रखते हुए कहा कि माता जी अनपढ़ है तो उनके पास कोई भी स्कूल प्रमाण पत्र नहीं है ऐसे में पहले के नियमानुसार सरकारी डॉक्टर ने उनकी उम्र प्रमाण के कागजात तैयार किया जिसमें वह वर्ष 2013 में 60 साल की हो गई। लेकिन नई पेंशन के आधार पर ये वर्ष 2014 में 60 वर्ष की होती है।
जिसकी वजह से वर्ष 2019 में इनकी पेंशन काट दी गई और इन्हें 2013 से लेकर के 2019 तक ली गई पेंशन को अवैध बताते हुए वापस करने का फरमान जारी किया गया। अब यह बुजुर्ग दंपत्ति पिछले कई सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है और अब अधिकारियों ने आचार संहिता का हवाला देकर इन्हें घर बैठने के लिए बोल दिया गया ।
जयहिंद ने आगे कहा कि अधिकारी बिना जाँच के 2019 में उनकी पेंशन कैसे काट सकते है । अगर सरकार को बुर्जुग सम्मान पेंशन वापिस ही चाहिए तो पहले माताजी को मई 2019 से लेकर मार्च 2024 तक की पेंशन ब्याज सहित वापिस करें जो की लगभग डेढ़ लाख रुपए बनते है । वही सरकार इसमें से दिसंबर 2013 से अगस्त 2014 तक की 3500 रुपए काट कर बाकी की पेंशन ब्याज सहित वापिस करें।
जयहिंद ने वही सरकारी अधिकारी द्वारा जारी तुगलकी फरमान पेंशन वापसी पर कहा कि बुजुर्ग महिला ने न तो सरकारी अधिकारियों को किसी तरह के फर्जी दतावेज दिए और न ही सरकार को कोई धोखा दिया ।
जयहिंद ने वही सरकार और सरकारी अधिकारीयों को 2 दिन का समय देते वह कहा कि या तो दो दिन में माता जी की समस्या का समाधान हो नहीं तो वे खुद उनके साथ सड़क पर उतरेंगे।
वही जयहिंद ने माता जी को बुढ़ापा पेंशन 3 हजार रूपए की सहायता राशि देकर उनकी मदद की और कहां की जब तक सरकार उन्हें सम्मान पेंशन नहीं देगी वह उन्हें यह पेंशन देंगे।
स्कूल बंद कर रहे हो तो शराब का ठेका खुलवाने का लाइसेंस दे दो सरकार : नवीन जयहिंद
जयहिंद ने कहा की गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले लाखो बच्चे कहाँ जाएंगे । इसके साथ ही ये गैर मान्यता प्राप्त स्कूल हजारों पढ़े -लिखे युवाओं को रोजगार दिए हुए हैं । सरकार हजारों पढ़े लिखे युवाओं का रोजगार क्यों छीनना चाहती हैं । अगर सरकार स्कूलों को बंद ही करना चाहती हैं तो फिर उनके स्कूल को बंद करके उन्हें शराब के ठेके का लाइसेंस दे दे ।
जयहिंद ने सरकार की चिराग योजना पर भी सरकार को घेरते हुए कहा की जब सरकार खुद ही चिराग योजना के तहत प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करने के लिए आवेदन मांग रही हैं तो फिर प्राइवेट स्कूलों को बंद करने का क्या औचित्य हैं । सरकार को चाहिए की इन गैर मान्यता प्राप्त स्कूलो की मान्यता लेने के लिए नियमो का सरलीकरण करे ताकि ये स्कूल भी स्थाई मान्यता ले सके और भूमि मानकों में भी आवश्यक सुधार करना चाहिए ।
क्योंकि ये वे प्राइवेट स्कूल हैं जो गरीब परिवार के बच्चो को नाम मात्र मासिक फीस लेकर शिक्षा देते हैं। इन प्राइवेट स्कूलों की मासिक फीस मात्र 400से 500 रु हैं जबकि सरकार भी संस्कृति मॉडल स्कूलों में 500से 700 रु मासिक फीस ले रही हैं। जयहिंद ने हरियाणा के मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री से इन स्कूलों को बंद ना करने की अपील की ताकि लाखो लोगो का रोजगार बना रहे वही ।
जयहिंद ने कहा की अगर सरकार ने इन स्कूलों को बंद करने की कोशिश की तो उन्हें मजबूरी में सोटा उठाकर सड़क पर उतरना पड़ेगा जबकि हरियाणा की नई शिक्षामंत्री स्वयं पहले एक प्राइवेट स्कूल में कंप्यूटर टीचर रह चुकी हैं तो उन्हें इनकी स्तिथि समझनी चाहिए और समस्या का समाधान करना चाहिए ।
नवीन जयहिंद गांव बोहर, जिला रोहतक में अयोजित चतुर्थ दो दिवसीय प्रदेश हैंड बॉल प्रतियोगिता में बतौर अतिथि पहुंचे । जयहिंद ने सभी खिलाड़ियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए कामना की और दूर दूर से आये युवाओं को भी खेल के लिए प्रेरित किया । जयहिंद ने कहा कि सबसे पहला सुख निरोगी काया होता है । युवा नशे से दूर रहे और खेल को अपने जीवन का हिस्सा बनाये ।
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