बैठक की अध्यक्षता कर रही जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त नेहा सिंह ने कहा कि जिला के अधिकारी व कर्मचारी निष्पक्ष एवं पारदर्शिता के साथ लोकसभा के चुनाव करवाएं। उपायुक्त नेहा सिंह ने बताया कि ‘सीविजिल’ का अर्थ जागरूक नागरिक है और यह स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचनों के संचालन में नागरिकों द्वारा निभाई जाने वाली सक्रिय और जिम्मेदार भूमिका पर जोर देती है।
उन्होंने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा शुरू किए गए सीविजिल एप से माध्यम से आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन की शिकायतें अब आम नागरिक भी कर सकेंगे। शिकायत सीविजिल एप पर आने के बाद जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त की गई टीम मौके पर जाकर कार्रवाई करेगी और शिकायत का समाधान के बारे में एप पर जानकारी देगी। इस दौरान पलवल के एसडीएम नरेंद्र कुमार और हथीन के एसडीएम संदीप अग्रवाल द्वारा भी संबंधित अधिकारियों को सीविजिल और ईएसएमएस एप के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। इस अवसर पर सीटीएम अप्रतिम सिंह सहित संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
सीविजिल और ईएसएमएस एप के बारें में विस्तार से जानकारी देते हुए जिला सूचना एवं विज्ञान अधिकारी डी.पी. कुलश्रेष्ठï ने बताया कि सीविजिल एक उपभोक्ता अनुकूल मोबाइल एप्लीकेशन है, जिसे संचालित करना बहुत ही सरल है। इस एप की विशिष्टता यह है कि यह केवल लाइव फोटो/वीडियो और एप के भीतर से ऑटो लोकेशन ही कैप्चर करता है और नागरिकों को गैलरी में रखी पुरानी वीडियो और फोटों अपलोड करने की जानकारी नहीं देता है।
ट्रेनिंग के दौरान गठित की गई उडऩदस्ता (एफएसटी) और निगरानी दल (एसएसटी) के सदस्यों को एप डाउनलोड करवाकर इस एप को चलाने के बारे में भी पूर्ण जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि यदि बाद में भी कोई तकनीकी समस्या आती है तो इन टीमों के सदस्य जिला सचिवालय के तृतीय तल पर स्थित एनआईसी (राष्टï्रीय सूचना एवं विज्ञान) के कार्यालय में जाकर तकनीकी सहायता ले सकतें हैं।
ऐसे कार्य करता है सीविजिल एप -
इस एप्लीकेशन का उपयोग करके नागरिक राजनीतिक कदाचार की घटनाओं को देखते ही फोटो या वीडियो बनाकर तत्काल कुछ ही मिनटों में इसकी रिपोर्ट कर सकते हैं और इसके लिए उन्हें रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय में भी नहीं जाना पड़ेगा। सीविजिल जागरूक नागरिकों को जिला नियंत्रण कक्ष, रिटर्निंग अधिकारी और फील्ड यूनिट (फ्लाइंग स्क्वॉड)/स्थेतिक निगरानी दलों के साथ जोड़ता है, जिससे एक तीव्र और सटीक रिपोर्टिंग, कार्रवाई और निगरानी प्रणाली का निर्माण होता है।
ऐसे होती है कार्रवाई -
जिला सूचना एवं विज्ञान अधिकारी डी.पी. कुलश्रेष्ठï ने बताया कि नागरिक द्वारा शिकायत दर्ज करने के बाद, सूचना जिला नियंत्रण कक्ष में आ जाती है, जहां से उसे फील्ड यूनिट को सौंप दिया जाता है। एक फील्ड यूनिट में उडऩ दस्ता, स्थेतिक निगरानी टीम, रिजर्व टीम आदि शामिल रहते हैं। प्रत्येक फील्ड यूनिट में एक जीआईएस-आधारित मोबाइल एप्लीकेशन होगा, जिसे ‘सीविजिल इंवेस्टीगेटर’ कहा जाता है, जिससे फील्ड यूनिट जीआईएस संकेतों और नेविगेशन तकनीक का अनुसरण करके सीधे लोकेशन पर पहुंचती है और कार्रवाई करती है।
निर्णय और निपटान के लिए संबंधित रिटर्निंग अधिकारी को ऑनलाइन भेजी जाती है रिपोर्ट -
फील्ड यूनिट में शिकायत पर कार्रवाई होने के बाद, उनके द्वारा निर्णय और निपटान के लिए संबंधित रिटर्निंग अधिकारी को अन्वेषक ऐप के माध्यम से फिल्ड रिपोर्ट ऑनलाइन भेजी जाती है। जागरुक नागरिक को 100 मिनट के भीतर स्थिति के बारे में सूचित किया जाता है।
ईएसएमएस एप से बढ़ेगी पारदर्शिता -
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि चुनाव में और अधिक पारदर्शिता बढ़ाने के लिए भारत चुनाव आयोग ने एक नई तकनीक इलेक्शन सीजर मैनेजमेंट सिस्टम (ईएसएमएस) एप शुरू किया है। मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए धन-बल और चुनावी प्रलोभनों के इस्तेमाल पर इससे नजर रखी जा सकती है।
ईएसएमएस एप पर निगरानी दल (एसएसटी टीम) को आचार संहिता के दौरान पकड़ी गई नकदी, शराब और अन्य ड्रग्स की एंट्री करनी होगी। यदि आचार संहिता के दौरान एफएसटी, एसएसटी टीम की ओर से नकदी, शराब, हथियार आदि जब्त किए जाते हैं तो उनका रिकॉर्ड भी ऑनलाइन रखा जाएगा।
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