मेला में एक ओर जहां शिल्पकार अपने हुनर को पर्यटकों के समक्ष रख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अलग-अलग कलाकार भी अपने देश की समृद्ध विरासत, संस्कृति, गायन-वादन-नृत्य कला और वेशभूषा से लोगों का मन मोह रहे हैं। मंगलवार को भी मेले की मुख्य व छोटी चौपाल पर अलग-अलग जगहों से आए कलाकारों ने अपनी-अपनी मन मोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोंगो से आए ला-सांजा गु्रप के कलाकारों ने अपने पारंपरिक डांस फॉर्म माकूतानू की शानदार प्रस्तुति दी। यह कांगों में खुशी के मौके पर किया जाने वाला नृत्य है। थीम स्टेट गुजरात के सिद्धी समुदाय के कलाकारों ने सिद्धी धमाल नामक डांस की जोरदार पेशकश कर दर्शकों का मनोरंजन किया। सिद्धी समुदाय करीब 800 वर्ष पूर्व अफ्रीका से पलायन कर गुजरात आया था, उस समय से यह समुदाय गुजरात प्रांत में ही निवास कर रहा है।
इस समुदाय के लोग सिद्धी धमाल नृत्य की प्रस्तुति अपने अराध्य बाबा हजरत गौर को प्रसन्न करने के लिए करते है। दक्षिणी अफ्रीका के सुंदर देश मालावी के कलाकारों ने डांस प्रस्तुति के माध्यम से अपने देश की समृद्ध संस्कृति और बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर-सम्मान भाव रखने का संदेश दिया।
असम से आए कलाकारों ने बीहू नृत्य से दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। इसके अलावा चौपाल पर इथोपिया, जाम्बिया, नाइजिरिया, किर्गिस्तान, केपवर्दे, बेलारूस, सेनेगल, बोटस्वाना आदि देशों के कलाकारों ने अपने-अपने देश के लोकगीतों व पारंपरिक गायन की कला से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
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