उल्लेखनीय है कि इन दिनों शीत लहर का भारी प्रकोप चल रहा है। न केवल अत्यधिक ठंड, बल्कि पूरा-पूरा दिन धुंध रहती है, ऐसे में लोगों को सर्दी की जकडऩ में आना स्वाभाविक है, लेकिन जरा सी सावधानी बरत कर शीत घात से बचा जा सकता है। इसलिए सरकार के निर्देशानुसार जिला प्रशासन ने एडवाइजरी जारी कर नागरिकों से विशेष सावधानी बरतने की अपील की है।
क्या करें और क्या न करें:-
डीसी नेहा सिंह ने कहा कि शीत-घात से पूर्व मौसम की जानकारी के लिए रेडियो/टीवी/समाचार पत्र जैसे सभी मीडिया प्रकाशन का ध्यान रखें, ताकि यह पता चल सके कि आगामी दिनों में शीत लहर की संभावना है अथवा नहीं। सर्दियों लिए पर्याप्त कपड़ों का स्टॉक करें।
घर मे ठंडी हवा के प्रवेश रोकने हेतु दरवाजों तथा खिड़कियों को ठीक से बंद रखे। फ्लू, नॉक बहना/भरी नाक या नाक बंद जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना आमतौर पर ठंड में लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती हैं। इस तरह के लक्षणों से बचाव हेतु आवश्यक सावधानी बरतें तथा स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों या डॉक्टर से परामर्श करें।
शीत घात के दौरान करें यह कार्य:-
उन्होंने कहा कि जितना हो सके घर के अंदर रहें और ठंडी हवा, बारिश, बर्फ के संपर्क को रोकने के लिए कम यात्रा करें। ऐसे गर्म कपड़े पहनें, ताकि ठंड बिल्कुल न लगे। तंग कपडे खून के बहाव को रोकते हैं, इनसे बचें। खुद को सूखा रखें और पानी में भीगने से बचें। शरीर की गरमाहाट बनाए रखने के लिए अपने सिर, गर्दन, हाथ और पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से ढकें। गीले कपड़े तुरंत बदलें। हाथों में दस्ताने पहनें। फैंफड़ों को बचाने के लिए मास्क का प्रयोग करें। सिर पर टोपी या मफलर रखें। शराब का सेवन न करें और स्वास्थ्य वर्धक भोजन का प्रयोग करें।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पर्याप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं। गर्म तरल पदार्थ नियमित रूप से पीएं। इससे ठंड से लडऩे के लिए शरीर की गर्मी बनी रहेगी। बुजुर्ग लोगों, नवजात शिशुओं तथा बच्चों का ध्यान रखें एवं ऐसे पड़ोसी जो अकेले रहते हैं, विशेषकर बुजुर्ग लोगो का हाल-चाल पूछते रहें।
जरूरत के अनुसार ही रूम हीटर का प्रयोग करें, लेकिन रूम हीटर के प्रयोग के दौरान पर्याप्त हवा निकासी का प्रबंध रखें। बंद कमरों में कोयले को जलाना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि यह कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैस पैदा करती है जोकि जानलेवा हो सकती है। शराब का सेवन न करें, यह शरीर की गर्माहट को कम कर खून की नसों को पतला कर देता है। विशेषकर हाथों से जिसमें हाईपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है।
शीत लहर के अत्यधिक प्रभाव से त्वचा पीली, सख्त एवं संवेदन शून्य तथा लाल फफोले पड़ सकते हैं। यह एक गंभीर स्थिति होती है, जिसे गैंगरीन भी कहा जाता है। शीत लहर के पहले लक्षण पर ही चिकित्सक की सलाह लें, तब तक अंगों को तत्काल गर्म करने का प्रयास करें। ज्यादा गर्मी से इन अंगों के जलने की संभावना होती है। शीत से प्रभावित अंगों का गुनगुने पानी से ईलाज करें।
इसका तापमान इतना रखें कि यह शरीर के अन्य हिस्से के लिए आरामदायक हों। शरीर में कपकपी को नजर अंदाज न करें। तुरंत मकान के अंदर जाएं। प्रभावित व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएं तथा उनके गीले तथा ठंडे कपड़ों को तुरंत बदलें। प्रभावित व्यक्ति को त्वचा से त्वचा मिलाकर, कंबल, कपड़ों तौलियों तथा चद्दरों की परतों द्वारा गर्म करें। उसे गर्म पेय पदार्थ दें।
शीत लहर के प्रभाव से होईपोथर्मिया हो सकता है। शरीर में गर्मी के ह्रास से कंपकंपी, बोलने में दिक्कत, अनिंद्रा, मांसपेशियों में अकडऩ, सांस लेने में दिक्कत/निश्चेतन की अवस्था हो सकती है। ऐसी स्थि िमें तत्काल चिकित्सीय सहायता लें।
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