उन्होंने कहा कि मिशन कर्मयोगी के समान एक मिशन, जिसका उद्देश्य भारत में शासन और सिविल सेवकों की क्षमताओं को बढ़ाना है| "विज्ञान कर्मयोगी" भारत में वैज्ञानिक समुदाय में क्रांति ला सकता है। प्रो. शर्मा ने सभी वैज्ञानिक क्षेत्रों और आयु समूहों के शोधकर्ताओं के लिए विभिन्न फेलोशिप की भी शुरुआत की। यह फेलोशिप युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को उनके करियर के विभिन्न चरणों में समर्थन और मान्यता देता है, साथ ही विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में निरंतर योगदान को प्रोत्साहित करता है।
प्रो. आशुतोष शर्मा ने वैज्ञानिक पत्रिकाओं और प्रकाशनों के क्षेत्र में भी गहन अध्ययन किया और शोध निष्कर्षों के प्रसार और वैज्ञानिक समुदाय के भीतर ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने युवा शोधकर्ताओं को भारतीय वैज्ञानिक पत्रिकाओं में शोध पत्र प्रकाशित करने के लिए भी प्रेरित किया।
इन्हें करवाया परिचित:-
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता एम्स, भोपाल/जम्मू के अध्यक्ष डॉ. वाई.के. गुप्ता ने की। पेटेंट, डिजाइन और ट्रेड मार्क्स महानियंत्रक (सीजीपीडीटीएम), डॉ. उन्नत पंडित ने भी युवा शोधकर्ताओं को पेटेंट के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराया। उन्होंने बुनियादी बातों से लेकर पेटेंट के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की और पेटेंट आवेदन की जटिल प्रक्रिया को स्पष्ट किया। डॉ. पंडित ने पेटेंट आवेदनों के मूल्यांकन में मौलिकता, नवीनता और औद्योगिक प्रयोज्यता के महत्व को रेखांकित करते हुए पेटेंट योग्य आविष्कार को परिभाषित करने वाले प्रमुख घटकों और मानदंडों के बारे में विस्तार से बताया।
युवा शोधकर्ताओं को संबोधित करते हुए, डॉ. पंडित ने नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने में पेटेंट की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों को पेटेंट परिदृश्य का पता लगाने, मौजूदा ज्ञान का लाभ उठाने और बौद्धिक संपदा के बढ़ते भंडार में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया।
सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान के साइंस मीडिया कम्युनिकेशन सेल (एसएमसीसी) ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर युवा वैज्ञानिक सम्मेलन के मीडिया प्रचार-प्रसार का समन्वय किया।
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