आज मुंबई से वीरेंद्र ललित, कुलदीप सिंह और विनोद आए थे। जो नवीन जयहिंद से जुड़ी जानकारियां और वीडियो बनाकर गए है। इस वीडियो में नवीन जयहिंद ने "थारा फूफा जिंदा है" आंदोलन के बारे में उनका अनुभव और संघर्ष साझा किया।
नवीन जयहिंद की "थारा फूफा जिन्दा है" यह मुहिम चंडीगढ़ तक गूंजी और देश-विदेश के अखबारों में इसे अपनी खबरों में जगह दे इस मुहीम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाया।
"थारा फूफा जिन्दा है" आंदोलन के बारे में जानकारी साझा करते हुए नवीन जयहिंद ने बताया कि यह आंदोलन नहीं बल्कि एक संघर्ष था जिसे हरियाणा के बुजुर्गों ने जीता। प्रशासन व सरकारी नीतियों की कमियों की वजह से प्रदेश के हज़ारों बुजुर्गों को सरकारी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया। जिससे उन्हें मिल रही पेंशन काट दी गई और न ही सरकार द्वारा दी जा रही कोई सुविधा मिल रही थी। प्रदेश के बुजुर्ग एक सरकारी ऑफिस से दूसरे सरकारी ऑफिस में भटक रहे थे। नेताओं के घरों पर हाजिरी लगा रहे थे लेकिन कोई भी उनकी सुनने वाला नहीं था।
जयहिंद ने आगे बताया कि इस आंदोलन का उद्देश्य सरकार की नीतियों की वजह से परेशान बुजुर्गों को न्याय और उनका हक़ दिलाना था। इस आंदोलन की वजह से प्रदेश के 2 लाख बुजुर्गों को पेंशन मिली और हजारों बुजुर्गों को सरकारी कागजों में जिंदा किया गया।
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