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हरियाणा में आलमारी नहीं भर पा रहे हैं भ्रष्टाचारी, भ्रष्टों पर CM खट्टर और उनके ख़ास अधिकारियों की कड़ी नजर

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चंडीगढ़ - भ्रष्टाचार  की गूंज टीवी चैनल्स, समाचार पत्र और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आप आए दिन सुनते रहे होंगे। हाल ही में कांग्रेस पार्टी के झारखंड से सांसद के घर भारी मात्रा में काला धन बरामद होने के बाद भ्रष्टïचार का मुद्दा इन दिनों जोरदार तरीके से गर्मा गया है। भष्टïचार किसी पार्टी या विभाग तक ही सीमित नहीं है बल्कि यूं कहे तो ज्यादा उचित होगा कि आज भ्रष्टïचार सरकारी तंत्र और समाज में कैंसर की तरह फैल चुका है। हर राजनेतिक पार्टी भ्रष्टïचार का सफाया करने का दावा करती है। क्या भ्रष्टïाचार का मुद्दा सिर्फ आरोप प्रत्योरोप का हथियार मात्र बनकर रह गया है? या फिर कोई इस मुद्दे पर गंभीर भी है? ऐसे में हमने सबसे हॉट भ्रष्टïचार के मुद्दे पर गहनता के साथ विश्लेषण करने का फैसला किया। गहनता के साथ मंथन करने के बाद जो बात निकल कर आई उसे जान कर आप भी हैरान हुए बिना नहीं रहेंगे।

हरियाणा राज्य की स्थापना के बाद से भ्रष्टाचारियों  को पकडऩे और उन पर कार्रवाई करने के लिए एक विभाग मौजूद था। यह विभाग भी समय समय पर रिश्वत लेने वाले लोगों को पकड़ कर सलाखों के पीछे भेजने का काम करता रहा है। किसी पार्टी के शासनकाल में कम रिश्वतखोर पकड़े गए तो किसी के समय में ज्यादा। लेकिन प्रदेश में पहले रही किसी भी सरकार ने भ्रष्टïचार को खत्म करने के लिए गहराई में जाने का प्रयास नहीं किया। लेकिन विश्लेषण से पता चला कि प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भ्रष्टïचार के सफाए के लिए गंभीरता दिखाई है। आज हम आपकों तथ्यों के साथ बताएंगे कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल भ्रष्टïचार का सफाया किस तरह से कर रहे हैं। जो प्रदेश की जनता को किसी न किसी रूप में नजर भी आ रहा है।

भ्रष्टाचार  गंभीर अपराध तो है ही साथ ही यह एक सामाजिक बुराई भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि हीन भावना से ग्रस्त, संस्कारों के अभाव और दूसरों से इर्शा रखने वाला व्यक्ति भ्रष्टïचार में लिप्त होता है। इसीलिए सीएम मनोहर लाल भ्रष्टïचार का सफाया सिर्फ सख्ती के दम पर ही नहीं कर रहे हैं। भ्रष्टïचार के खात्मे के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल सख्ती के साथ तकनीकी का इस्तेमाल, सरकारी काम काज में पारदर्शिता और सामाजिक जागरूकता का इस्तेमाल कर रहे हैं। भ्रष्टïचारियों पर वर्षो से स्टेट विजिलेंस काम कर रही थी। लेकिन इस विभाग के कहीं न कहीं हाथ बंधे हुए थे। जिसके कारण यह विभाग चाह कर भी भ्रष्टïचारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं कर पा रहा था। ऐसे में मुख्यमंत्री के आदेश पर स्टेट विजिलेंस का पुर्नगठन करते हुए इसे एंटी क्रप्शन ब्यूरो यानी चीफ विजिलेंस ऑफिसर के रूप में सिर्फ नाम ही नहीं दिया बल्कि इसे भ्रष्टïचारियों पर कार्रवाई करने के लिए कई तरह की शक्तियां भी प्रदान की गई। बड़े अधिकारियों और राजनेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले ली जाने वाली अनुमति को सरल बनाया गया।  चीफ विजिलेंस ऑफिसर को मजबूती प्रदान करने के लिए सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों के ईमानदार व तेज तरार सेवानिवृत अधिकारियों की सीबीओ के पद पर नियुक्ति की गई। ताकि भ्रष्टïचारी किसी भी तरह से कानूनी शिकंजे से बच नहीं पाए।

पूर्व की सरकारों में आप अक्सर सरकारी नौकरियों में होने वाले घोटालों की चर्चा सुनते रहे होंगे। आए दिन सुनाई देता था कि फलां व्यक्ति दस लाख रुपये देकर भर्ती हुआ है। देखिये जो व्यक्ति दस लाख देकर नौकरी हासिल करेगा, वह दुगनी रकम वसूलने का प्रयास भी करेगा। और एक बार जब कोई व्यक्ति रिश्वत लेना शुरू कर दे तो यह उसकी आदत बन जाती है। जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सरकारी नौकरी की भर्तियों को पूरी तरह पारदर्शी बना दिया। इसी की बदौलत वर्तमान सरकार में बिना पर्ची खर्ची के एक लाख, चार हजार 250 लोगों को सरकारी नौकरी दी जा चुकी है। फिलहाल 60 हजार सरकारी नौकरियां और देने का लक्ष्य है। जिसमें से 41 हजार 217 सरकारी नौकरियों की प्रक्रिया जारी है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है बिना पर्ची खर्ची के भर्ती होने वाले लोग एक बार जनता से रिश्वत मांगते हुए जरूर सोचेंगे।

भ्रष्टïचार पर चोट पहुंचने के लिए सरकारी विभागों की मलाईदार सीटों पर बैठे अधिकारियों के चरित्र का पता लगाने भी बेहद जरूरी था। ऐसे में सीएम मनोहर लाल ने सरकारी विभागों में बैठे भ्रष्ट  अधिकारियों और कर्मचारियों की पहचान करने की जिम्मेदारी गुप्तचर विभाग को सौंपी थी। क्योंकि यही लोग अपने पद का दुरूपयोग करते हुए भ्रष्टïचार करते हैं। गुप्तचर विभाग द्वारा बढ़े ही गुपचुप तरीके से भ्रष्ट  अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ साथ ऐसे अधिकारियों की भी पहचान की गई, जो ईमानदार होने के साथ पूरी निष्ठां  के साथ अपना काम करते हैं। जिसके बाद मलाईदार सीटों से भ्रष्ट लोगों को हटाकर ईमानदार अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती की गई।

आम जनता को अपने काम के सिलसिले में सरकारी दफ्तरों में अक्सर जाना ही पड़ता है। ऐसे में इन दफ्तरों में तैनात अधिकारी और कर्मचारी बिना पर्ची खर्ची के जनता काम आसानी से नहीं करते थे। ऐसे में सीएम मनोहर लाल ने सोचा कि क्यों न ऐसा किया जाए कि जनता को दफ्तरों में जाना ही न पड़े और वे घर बैठे अपना काम करवा सके। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने डिजिटाइेजेशन का काम शुरू किया। वर्तमान में ज्यादातर सरकारी विभागों का काम काज ऑनलाइन हो चुका है। आज सरल पोर्टल के माध्यम से जनता 600 से ज्यादा सरकारी काम ऑनलाइन करवा रही हैं। सभी सरकारी काम को करने की समय सीमा भी निर्धारित है। निर्धारित समय पर काम न होने पर अपील करने का प्रावधान भी है।

आप अक्सर देखते होंगे सरकार द्वारा करोड़ों रुपये विकास पर खर्च के दावों के बावजूद जनता को पूरा फायदा नहीं मिलता था। ऐसे में सीएम मनोहर लाल ने बिचौलियों और लालफीता शाहियों की भूमिका सरकारी ठेकों से खत्म करने का फैसला लिया। अब खनन समेत अन्य काम ई नीलामी के माध्यम से हो रहे हैं। वहीं सरकारी द्वारा कराए जाने वाले काम ई टैंडरिंग के माध्यम से हो रहे हैं।

इस सबके अलावा सीएम मनोहर लाल के आदेश पर सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के मन से भ्रष्टïचार की भावना को दूर करने के नैतिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसके माध्यम से उन्हें समझाया जा रहा है कि हरियाणा की दो करोड़ 80 लाख जनता एक ही परिवार हैं। ऐसे में वे अपने परिवार के किसी सदस्य के साथ बुरा कैसे कर सकते हैं। कर्मचारियों को नैतिक प्रशिक्षण देने के पहले 900 मास्टर ट्रेनर तैयार किये गए। यह मास्टर ट्रेनर फिलहाल नौ जिलों में 25 स्थानों  पर सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ईमानदार और कर्तव्य निष्ठ बनाने के लिए नैतिक प्रशिक्षण दे रहे हैं।

क्या इससे पहले किसी ने हरियाणा से भ्रष्टïचार मिटाने के लिए इतने ठोस कदम उठाए हैं? अब आप खुद फैसला कर सकते हैं कि भ्रष्टïचार को खत्म करने के लिए कौन ईमानदारी से गंभीरता दिखा रहा है।

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