मीटिंग में निर्देश देते हुए उपायुक्त विक्रम सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय ट्रस्ट संरक्षता अधिनियम के तहत मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को गार्जियनशीप (संरक्षक) सर्टिफिकेट दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इन विशेष जरूरत वाले बच्चों को कई बार जीवन में कानूनी निर्णय लेने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि नेशनल ट्रस्ट ने नियुक्त प्रतिनिधियों के माध्यम से उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए तंत्र स्थापित किया है।
ऑटिज़्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और बहु-विकलांगता वाले व्यक्तियों को अपने हितों की रक्षा करने और उनकी निरंतर भलाई सुनिश्चित करने के लिए कानूनी मामलों में निरंतर समर्थन की आवश्यकता हो सकती है। बैठक में जिला कल्याण अधिकारी सरफराज खान, जिला रेडक्रास सचिव बिजेंद्र सरोत, बीकी हॉस्पिटल से डॉ. नेहरा एवं डॉ. रेनू बाली सहित कई अधिकारी मौजूद थे।
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