इस अवसर पर दिव्य धाम में रंग बिरंगी रोशनी से की गई सजावट देखते ही बनती थी। विभिन्न प्रकार की रोशनियों से नहाया दिव्य धाम अलौकिक और आदित्य नजर आ रहा था। यहां देश-विदेश से हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे और उन्होंने दिव्यधाम के बाहर आशा के दीप जलाकर उन्होंने भगवान से प्रार्थना की एवं गुरु महाराज से आशीर्वाद मांगा। जीवन में सुख शांति समृद्धि की प्राप्ति हो इसी प्रकार गुरु महाराज ने भी उन्हें निराश नहीं किया और सभी को खजाना बांटा।
जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने बताया कि दीपावली वास्तव में पांच पर्वों का संयुक्त महापर्व है जो हमारे जीवन में सुख शांति समृद्धि सुकून की स्थापना का प्रतीक है। यह बताता है कि जब श्री राम ने आततायी रावण का अंत किया तो दशहरा मना लेकिन जब वह घर आ गए और फिर उनका स्वागत किया तब दीपावली मनी।
इसका अर्थ है कि जो हमने कार्य किया उसके परिणाम जब सुखद आते हैं, तो व्यक्ति कितना प्रसन्न होता है| उन्होंने सभी को उत्सव पर मंगला शासन किया और कहा कि सभी लोग दीप मालाओं की तरह अपने जीवन को प्रकाशित करें और अपना प्रकाश दूसरों में भी बांटते रहे। उन्होंने लोगों से कहा कि हमें यथासंभव जरूरतमंदों की मदद भी करनी चाहिए।
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