प्रमुख सचिव श्री राजीव रंजन व श्रम आयुक्त और श्री मनीराम शर्मा की हिदायत अनुसार ज्यादा से ज्यादा मजदूरों की स्क्रीनिंग कर बीमारी को प्राथमिक अवस्था में ही पता लगाकर उन्हें योजनाओं का लाभ व समय पर इलाज करवाना है।
जहां उन्होंने बताया कि सिलिकोसिस एक लाइलाज बीमारी है, पर रोकने योग्य है, धूल मे पानी का छिड़काव व मास्क पहन कर इस से बचा जा सकता है, केवल छाती के एक्सरे करने पर ही बीमारी का पता लगाया जा सकता है। जो मजदूर पत्थर की धूल में काम करते हैं।
उन्हें 2 साल में एक बार छाती का एक्स-रे जरूर करवाना चाहिए। ताकि इस बीमारी का पता समय पर लगाया जा सके। बीमारी की पुष्टि होने पर श्रम विभाग की ओर से 5 लाख की आर्थिक सहायता दी जाती है। अभी तक लगभग 550 मजदूरों को यह सहायता दी जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि जो मजदूर धूल में काम करते हैं ( निर्माण स्थल, भट्टा, ढलाई, मार्बल कटिंग, मंदिर निर्माण इत्यादि) वह मजदूर अपनी छाती का एक्स-रे व उद्योग में कार्य करने का प्रमाण कमरा नम्बर 200 दूसरी मंजिल लेबर कोर्ट कॉम्प्लेक्स सेक्टर- 12 में जमा कर सकते है।
Post A Comment:
0 comments: