सीजेएम सुकिर्ती गोयल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि न्यायालय में लंबित मामलों को राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों की आपसी सहमति व राजीनामे से सौहार्दपूर्ण वातावरण में पक्षकारों की रजामंदी से विवाद निपटाया जाता है। इससे शीघ्र,सस्ते व सुलभ न्याय लोगों को मिलता है जहां किसी पक्ष की हार नहीं होती। वहीं राष्ट्रीय लोक अदालत में केसों की सुनवाई के फैसलों की कहीं कोई अपील नहीं, अंतिम रूप से निपटारा, समय की बचत जैसे लाभ मिलते हैं।
उन्होंने आगे बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में बैंक लोन से संबंधित मामले, मोटर एक्सीडेंट, एनआई एक्ट, फौजदारी, रेवेन्यू, वैवाहिक विवाद का निपटारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आपसी सहमति से हल होने वाले मामलों में राष्ट्रीय लोक अदालत बहुत ही कारगर सिद्ध हो रही हैं और राष्ट्रीय लोक अदालत में सुनाए गए फैसले की भी उतनी ही अहमियत है।
जितनी सामान्य अदालत में सुनाए गए फैसले की होती है। राष्ट्रीय लोक अदालत में सुनाए गए फैसले के खिलाफ अपील दायर नहीं की जा सकती। लोक अदालत के माध्यम से लोगों का बिना समय व पैसा गवाएं केसों का समाधान किया जाता है। राष्ट्रीय लोक अदालत में ना तो किसी पक्ष की हार होती है और ना ही जीत बल्कि दोनों पक्षों की आपसी सहमति से विवादों का समाधान करवाया जाता है।
सीजेएम ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में मामलों के निपटारे के लिए इच्छुक व्यक्ति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय (एडीआर सेंटर) या जिला के उन न्यायालयों में आवेदन कर सकते हैं। जिस अदालत में मामला विचाराधीन है। उस अदालत में भी आवेदन किया जा सकता हैं।
उन्होंने बताया कि किसी भी कार्य दिवस में सुबह 9:30 बजे से सायं 5 बजे तक कोई भी व्यक्ति न्यायालय परिसर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय में संपर्क कर सकता है। लोक अदालत के आयोजन तक जिला न्यायालय परिसर के मुख्य गेट के अंदर हेल्प डेस्क पर जाकर भी किसी भी तरह की कानूनी जानकारी ले सकता है।
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