डीसी विक्रम सिंह ने राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल पर्यावरण के केसों समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पर्यावरण सम्बंधित केसों का निपटान अधिकारी समयबद्ध तरीके से धरातल पर निरीक्षण करके पूरा करें। जिला फरीदाबाद में एक्यूआई प्रदूषण की मात्रा 300 से अधिक चली गई है। जो कि मानव जीवन के स्वास्थ्य के लिए अच्छी खबर नहीं है।
इसलिए जिस भी अधिकारी को उनके विभाग से जुड़े एनजीटी के केसों की जिम्मेदारी तय की गई है। वे अधिकारी पूरी निष्ठा के साथ एनजीटी की गाइड के अनुसार केसों की पूरी पैरवी करें। अवैधानिक रूप किए जा रहे हैं सभी कार्यों पर तुरंत प्रभाव से कार्यवाही करते हुए आन लाइन प्लेट फार्म प्रणाली पर अपलोड करना सुनिश्चित करें।
डेलीबेसिज पर समीक्षा करके जिला मुख्यालय में सूचना जरूर देना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि सभी केसों का निपटान एनजीटी की हिदायतों के अनुसार ही करना सुनिश्चित करें। जिस विभाग की जो भी जिम्मेदारी है। उसे निर्धारित समय पर पूरा करना सुनिश्चित करें। वहीं उन्होंने बैठक में एनजीटी के सभी केसों की एक-एक करके विभाग वार जानकारी लेकर सम्बन्धित अधिकारी से जबाब देही के साथ समीक्षा की।
डीसी ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अधिकरण एनसीआर में गंभीरता से कार्य कर रहा है। इसलिए एनजीटी द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार जिला फरीदाबाद में नियमों की पालना करना सुनिश्चित करें।
बता दें विगत 18 अक्टूबर 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत पर्यावरण बचाव और वन संरक्षण और अन्य प्राकृतिक संसाधन सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन और क्षतिग्रस्त व्यक्ति अथवा संपत्ति के लिए अनुतोष और क्षतिपूर्ति प्रदान करना और इससे जुडे़ हुए मामलों का प्रभावशाली तथा तीव्र गति से निपटारा करने के लिए किया गया है। यह एक विशिष्ट निकाय है, जो कि पर्यावरण विवादों बहु-अनुशासनिक मामलों सहित, सुविज्ञता से संचालित करने के लिए सभी आवश्यक तंत्रों से सुसज्जित है।
- ये हैं एनजीटी की मुख्य गाइडलाइन:-
राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल की हिदायतों के अनुसार यह प्राधिकरण 1908 के नागरिक कार्यविधि के द्वारा दिए गए कार्यविधि से प्रतिबद्ध नहीं है। लेकिन प्रकृतिक न्याय सिद्धांतों से निर्देशित है।
राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल पर्यावरण से संबंधित सभी मामलों के तहत सुनवाई कर सकता है। वन अधिनियम 1980, वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981,जल अधिनियम 1974, जल उपकरण अधिनियम 1977, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986, जैव विविधता अधिनियम 2002 शामिल हैं। एनजीटी का न्यायिक क्षेत्र बहुत अधिक विस्तार है। इसे सिविल न्यायालय की शक्तियां की प्राप्त है और दंड के रूप में अधिकतम 3 वर्षों की सजा तथा ₹10 करोड़ रुपये की धनराशि के आर्थिक दंड दे सकता है।
एनजीटी के केसों की समीक्षा बैठक में डीसीपी पूजा वशिष्ठ, एसडीएम फरीदाबाद परमजीत चहल, एसडीएम बड़खल कम सीटीएम अमित मान, एचएसवीपी के एस्टेट आफिसर्स सिद्धार्थ दहिया, डीआरओ बिजेन्द्र राणा, एसीपी मुख्यालय अभिमन्यु गोयत, एसीपी ट्रैफिक विनोद कुमार, एडीए, एमसीएफ, स्मार्ट सीटी,नेशनल हाईवे सहित एनजीटी के केसों से सम्बंधित अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
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