फरीदाबाद- हरियाणा कांग्रेस की तरह फरीदाबाद कांग्रेस भी कई धड़ों में बंटती जा रही है जिसे देख सत्ताधारी भाजपा खुश है। फरीदाबाद के कांग्रेसी नेताओं के पास सत्ता पक्ष के खिलाफ कोई मुद्दा नहीं है इसलिए शायद वो अपने ही नेताओं पर घातक प्रहार करने लगे हैं। कुछ दिनों से लोकसभा क्षेत्र का फरीदाबाद और पलवल जिला यहाँ के कांग्रेसियों की नजर में दो टुकड़ों में बंटा दिखाई पड़ रहा है जब से चर्चाएं शुरू हुई की लोकसभा चुनाव पूर्व केबिनेट मंत्री महेंद्र प्रताप भी लड़ सकते हैं। पलवल से करण सिंह दलाल का नाम आ रहा है और वो भी प्रदेश में मंत्री रह चुके हैं। करण दलाल जितने मजबूत पलवल की तीन विधानसभा सीटों पर हैं महेंद्र प्रताप सिंह उतने ही फरीदाबाद की 6 विधानसभा सीटों पर हैं और यही वजह है कि शहर में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं हैं, पार्षद का चुनाव न जीत सकने वाले कांग्रेसी विधानसभा चुनाव की टिकट बांटते दिख रहे हैं।
कुछ कांग्रेसियों का कहना है कि जिस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस दो बार चुनाव हारी है वहां से उस कांग्रेसी को इस बार टिकट नहीं मिलेगी जिसके बाद हथीन से मोहम्मद इस्राइल, पृथला से रघुवीर सिंह तेवतिया, आनंद कौशिक और लखन सिंगला भी फरीदाबाद और बल्लबगढ़ से दो बार चुनाव हार चुके हैं जबकि बल्लबगढ़ की पूर्व विधायिका शारदा राठौर ने दो बार चुनाव ही नहीं लड़ा। बड़खल से भी पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप और उनके पुत्र विजय प्रताप दो बार से चुनाव नहीं जीत सके जबकि तिगांव से ललित नागर 2009 और 2019 में चुनाव हार चुके हैं। इसलिए अब शहर में ये चर्चाएं हैं कि दो बार वालों की अगर अनदेखी की गई तो कई विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को मजबूत उम्मीदवार ही नहीं मिलेगा। कांग्रेस को दूसरी पार्टियों से मजबूत उम्मीदवार लेने पड़ेंगे।
हरियाणा में कांग्रेस बिना संगठन के अब भी है इसलिए कोई कुछ भी बोलता रहता है। कांग्रेसी अपनी ही पार्टी के पैरों पर बिना धार वाली आरी चला रहे हैं और कुछ नेताओं को गहरा जख्म देकर उनका मनोबल गिरा रहे हैं और सत्तापक्ष को फायदा पहुंचा रहे हैं। चर्चाएं हैं कि ये कांग्रेसी तो सिर्फ बोल रहे हैं, बयान दे रहे हैं पटकथा कहीं और से लिखी जा रही है और उसी को पढ़ते रहते हैं।
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