पहले से ही हमारे पास एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसी फोर्स आपदा से निपटने के लिए मौजूद हैं लेकिन अब पूरे देश में आपदा मित्र भी किसी भी आपदा से निपटने के लिए देशवासियों से कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। श्री अनूप धानक शुक्रवार को सूरजकुंड स्थित होटल राजहंस में एक दिवसीय आपदा मित्र सम्मलेन में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि केद्र सरकार की यह बहुत ही सराहनीय योजना है और हरियाणा सरकार इसमें पूरी तरह से कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने बताया कि देशभर में जहां अबतक 87 हजार आपदा मित्र तैयार हो चुके हैं वहीं हरियाणा भी अपने सात जिलों में 2100 आपदा मित्र तैयार कर चुका है। उन्होंने हिमाचल, उत्तराखंड सहित उत्तर भारत के सभी राज्यों में आई भीषण बाढ़ और गुजराज में तुफान के दौरान आपदा मित्रों के सराहनीय कार्य के लिए सभी को बधाई दी।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए वित्तायुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव हरियाणा सरकार श्री राजेश खुल्लर ने कहा कि किसी भी आपदा को देखकर मित्रता का भाव बहुत बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि आपदा मित्र पहले अपना भी मित्र है। ऐसे में वह आपदा के समय वह इस भाव से कार्य करता है कि वह अपने, अपने गांव, अपने प्रदेश व अपने देश के साथ मित्रता के भाव से कार्य कर रहा है।
उन्होंने इस दौरान देशभर से आए आपदा मित्रों को फरीदाबाद का उदाहरण देते हुए कहा था कि आजादी के समय जब विस्थापन की सबसे बड़ी आपदा आई थी तो इस समय फरीदाबाद ने इसके लिए उदाहरण प्रस्तुत किया था। उन्होंने बताया कि फरीदाबाद का एनआईटी क्षेत्र कम्युनिटी और कोआपरेटिव के सहयोग से बसाया गया देश का पहला सुनियोजित शहर है।
उन्होंने कहा कि आपदा मित्र योजना देशभर में दो लाख से ज्यादा स्वयंसेवकों को तीन साल के अंदर तैयार करने की बड़ी ही बेहतरीन योजना है। इसमें शुरूआती तौर पर देश के 250 आपदा प्रभावित जिलों का शामिल किया गया है। इनमें उन गांवों में आपदा मित्र तैयार किए गए हैं जहां हमेशा आपदा आने की संभावना रहती है। ऐसे में जब तक एनडीआरएफ और एसडीआरएफ पहुंचती हैं तब तक यह आपदा मित्र लोगों को राहत के लिए मौजूद हो जाते हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य राजेंद्र सिंह ने बताया कि स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करने के लिए पूरे भारत में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा कार्यान्वित यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इस योजना का उद्देश्य सामुदायिक स्वयंसेवकों को बुनियादी कौशल प्रदान करना है, जिनकी उन्हें आपदा के दौरान और उसके बाद अपने समुदाय की तत्काल आवश्यकता पर प्रतिक्रिया देने के लिए आवश्यकता होगी।
ये प्रशिक्षित स्वयंसेवक आपदा प्रतिक्रिया, समन्वय और प्रबंधन की बुनियादी तकनीकों का उपयोग करके जीवन बचाने में सहायता कर सकते हैं। प्रत्येक स्वयंसेवक को एक आपातकालीन प्रतिक्रिया किट और तीन साल के लिए बीमा कवर और जिला/ब्लॉक स्तर पर आपातकालीन प्रतिक्रिया रिजर्व प्रदान किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत आपदा मित्र और आपदा सखी को नागरिक सुरक्षा, होम गार्ड, एनवाईकेएस, एनसीसी, पीआरआई और गांवों से चुना गया है। प्रशिक्षण कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की गयी है। स्वयंसेवकों को जिला प्रशासन और विपरित परिस्थितियों में कार्य करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया ताकि दोनों आसानी से तालमेल और सामंजस्य में काम कर सकें।
संबंधित जिला स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं। स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करने के लिए, संबंधित जिले की एमएएच इकाइयों से जिला अधिकारियों/उत्पत्ति जैसे जिला अग्निशमन अधिकारी, जिला रेडक्रॉस सोसाइटी, होम गार्ड और नागरिक सुरक्षा, औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा प्रशिक्षक के संसाधन व्यक्तियों को लगाया गया है।
इस दौरान राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त सचिव कुणाल सत्यार्थी ने बताया कि स्वयंसेवकों को अग्नि, सुरक्षा, प्राथमिक चिकित्सा, खोज एवं बचाव और जीवन रक्षक तकनीकों से संबंधित व्यावहारिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया है। प्रत्येक स्वयंसेवक को एक आई-कार्ड और प्रशिक्षण मॉड्यूल प्रदान किया गया है और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के पूरा होने पर आपदा मित्र के रूप में एक प्रशिक्षण प्रमाणपत्र प्रदान करके प्रमाणित किया गया है।
इन प्रशिक्षित स्वयंसेवकों का डेटा केंद्रीकृत डेटाबेस के लिए एनडीएमए द्वारा बनाए गए वेब पोर्टल https://mis.aapdamitra.ndma.gov.in/index.php/admin/login पर भी अपलोड किया गया है। प्रत्येक स्वयंसेवक को एक आपातकालीन प्रतिक्रिया किट और तीन साल के लिए बीमा कवर भी प्रदान किया जा रहा है।
इस दौरान पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश में आई आपदा के लिए हिमाचल के प्रतिनिधियों ने अपने द्वारा किए गए कार्यों के लिए प्रस्तुती दी। इसके बाद गुजरात में पिछले दिनों आए तुफान को लेकर किए गए प्रबंधनों के बारे में बताया गया।
इस दौरान बताया कि इतने बड़े तुफान के बावजूद कोई जनहानि नहीं होने दी गई। इस कार्य में एनडीआरएफ व एसडीआरएफ का आपदा मित्रों द्वारा किया गया सहयोग सराहनीय रहा। मीटिंग में उपायुक्त विक्रम सिंह सहित सभी प्रदेशों से पहुंचे आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारी व वालियंटर मौजूद थे।
पूरा कार्यक्रम चार अलग-अलग सत्रों में आयोजित किया गया। इसमें उत्तर पूर्व के क्षेत्रों में पहाड़ी क्षेत्रों में आने वाली आपदा के लिए हिमाचल प्रदेश, मिजोरम व सिक्किम के प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुती दी गई। दिल्ली, यूपी व हरियाणा के आपदा मित्रों द्वारा अपने प्रदेशों में आपदा मित्रों की सफलता की कहानिया दिखाई गई।
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