उन्होंने बताया कि पीएसीएस के कम्प्यूटरीकरण से विभिन्न लाभ मिलेंगे, जिनमें उनके संचालन की दक्षता में वृद्धि, ऋणों का शीघ्र वितरण सुनिश्चित करना, लेनदेन लागत में कमी, भुगतान में असंतुलन को कम करना, डीसीसीबी और एसटीसीबी के साथ निर्बाध लेखांकन और पारदर्शिता में वृद्धि शामिल है।
पीएसीएस का कम्प्यूटरीकरण वित्तीय समावेशन के उद्देश्य को पूरा करने और विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को सेवा वितरण को मजबूत करने के अलावा किसानों के बीच पीएसीएस के काम में पारदर्शिता व दक्षता लाएगा और भरोसे को बढ़ाएगा।
राष्ट्रीय स्तर पर एक एकल ईआरपी आधारित सॉफ्टवेयर विकसित किया जाएगा जो पीएसीएस को अपनी सेवाओं को डिजिटाइज़ करने और उन्हें डीसीसीबी और एसटीसीबी के साथ जोडऩे में सक्षम करेगा। यह राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के साथ ऋणों का त्वरित निपटान, कम संक्रमण लागत, तेजी से लेखा परीक्षा और भुगतान तथा लेखांकन में असंतुलन में कमी सुनिश्चित करेगा।
इस परियोजना के तहत सहकारिता सचिव की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय स्तर की निगरानी और कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है। परियोजना के कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार और राज्य सहकारिता सचिव और संबंधित राज्यों/यूटीएस के जिला कलेक्टरों की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कार्यान्वयन और निगरानी समितियों और जिला स्तरीय कार्यान्वयन और निगरानी समितियों का भी गठन किया गया है।
परियोजना के लिए सॉफ्टवेयर पहले ही राष्ट्रीय स्तर के पीएसीएस सॉफ्टवेयर विक्रेता द्वारा विकसित किया जा चुका है और वर्तमान में परीक्षण चरण में है। सभी प्रदेशों में मास्टर प्रशिक्षकों को बुनियादी अभिविन्यास प्रशिक्षण कार्यक्रम पहले ही प्रदान किए जा चुके हैं। अब यह मास्टर ट्रेनर पैक्स के कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं।
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