एडीसी अपराजिता ने यह दिशा-निर्देश आज मंगलवार को लघु सचिवालय के बैठक कक्ष में जिला स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति बैठक में समीक्षा कर रही थी। एडीसी अपराजिता ने एक-एक करके केसों की बारीकी से समीक्षा की।
उन्होंने जिला कल्याण विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश देते हुए कहा कि एससी-एसटी, रेप और पोस्को एक्ट के केसों में आर्थिक सहायता धनराशि देने के लिए मुख्यालय से मार्ग दर्शन जरूर लें।
समीक्षा बैठक मे जिला कल्याण अधिकारी राजबीर शर्मा ने चालू वित्त वर्ष के दौरान कल्याण विभाग में आए 14 केसों में आर्थिक सहायता धनराशि देने बारे विस्तृत जानकारी दी। वहीं एसीपी विनोद कुमार पुलिस विभाग के पास एससी-एसटी, रेप, पॉक्सो एक्ट और मारपीट के केसों बारे विस्तार पूर्वक जानकारी दी।
आपको बता दें कि हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम- 1989 और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण नियम- 1995 के प्रावधानों के तहत अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों के लिए एडहॉक ग्रांट की राशि बढ़ा दी है। पहले 75 सौ रुपये तुरंत राहत के तौर पर दिए जाते थे। अब 10 हजार रुपये दिए जा रहे हैं।
कल्याण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति को तुरंत राहत प्रदान करने के लिए संबंधित डीसी के माध्यम से एडहॉक ग्रांट दी जाती है। जिसमें तुरंत प्रभाव से 25 सौ रुपये की बढ़ोतरी कर दी गई है।
इसी प्रकार अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति, उसके आश्रित या गवाह को जांच या सुनवाई में आने-जाने के लिए एकमुश्त 100 रुपये की राशि को बढ़ाकर 150 रुपये करने का फैसला किया गया है। अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति, उसके आश्रित, सहायक या गवाह को खाने-पीने के लिए 50 रुपये प्रतिदिन दी जाने वाली राशि बढ़ाकर 200 रुपये कर दी गई है।
संबंधित जिला कल्याण अधिकारी उसी दिन सुनवाई व गवाही के पश्चात अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति को यात्रा भत्ता, दैनिक भत्ता और डाइट की राशि मंजूर कर देगा। इसके लिए संबंधित प्रत्येक जिला कल्याण अधिकारी को 50 हजार रुपये की राशि रखनी अनिवार्य थी, जिसे अब एक लाख रुपये कर दिया गया है।
अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति का मकान यदि पूरी तरह से बर्बाद या जल गया है तो उसे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण या शहरी क्षेत्र के मामले में प्राथमिकता के आधार पर लाभ दिया जा रहा है। नियम व शर्तों को पूरा नहीं करने की स्थिति में संबंधित डीसी छूट देने के लिए अधिकृत हैं।
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