विद्रोही ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार के मंत्री-संतरी हर रोज बेशर्मी से दावा ठोगते है कि किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेंहू व सरसों फसल का पैसा 72 घंटे में किसानों के बैंक खातों में भेज दिया गया है जबकि वास्तविकता के धरातल पर यह दावा सौ प्रतिशत झूठ है।
पूरे हरियाणा में रबी फसल 2023 खरीद सीजन में भाजपा-जजपा सरकार ने कहीं भी किसी किसान का गेंहू व सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का पैसा किसानों के खाते में 72 घंटे में भेजना तो दूर की बात, बहुत से किसानों के बैंक खाते में यह 15 दिन बाद तक नही भेजा है। इसका उदाहरण देते हुए विद्रोही ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर रेवाडी में अब तक लगभग 3300 किसानों की एसएसपी पर सरसों खरीदी है।
सरकार ने 28 मार्च को एमएसपी पर सरसों खरीदने की शुरूआत की थी और लगभग 20-22 दिनों की सरकारी खरीद के बाद रेवाडी में एक भी किसान के बैंक खाते में खरीदी सरसों का पैसा नही आया। इन 20-22 दिनों में अब तक लगभग दो हजार किसानों को उनकी बेची गई सरसों का 17.3 करोड़ रूपये बैंक खाते मेें आया और लगभग 1300 किसान अपनी बेची सरसों का पैसा बैंक खाते में आने का इंतजार कर रहे है।
विद्रोही ने कहा कि जो हालत रेवाडी के किसानों की है, वही हालत प्रदेश के हर किसान की है। भाजपा-जजपा सरकार किसान हित में मगरमच्छी आंसू बहाकर दमगज्जे तो बहुत मारती है, लेकिन भाजपा सरकार की कथनी-करनी में भारी अंतर है।
पूरे प्रदेश में कहीं भी चाहे सरसों फसल हो या गेंहू फसल, 72 घंटे में किसान बैंक खाते में फसल का पैसा आना तो दूर की बात, किसान खाते में पैसा आने में न्यूनतम 7 दिन से 15 दिन लग रहे है।
इसी तरह स्वयं मुख्यमंत्री ने स्वीकारा है कि अहीरवाल क्षेत्र में आंधी, ओलो व बरसात से 50 प्रतिशत से ज्यादा सरसों फसल हो नुकसान हुआ है और जो सरसों प्राकृतिक आपदा से खराब हुई है, काली पडी है, उसकी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नही की जा सकती जो किसानों के साथ खुला धोखा है।
विद्रोही ने मुख्यमत्री से मांग की कि अहीरवाल सहित पूरे प्रदेश में किसानों की वर्षा, आंधी व ओलो से खराब हुई सरसों व गेंहू फसल को बिना ना-नुकर एमएसपी पर खरीदा जाये। वहीं प्राकृतिक आपदा से बर्बाद किसान को गेंहू व सरसों पर प्रति क्विंटल 500 रूपये का बोनस दिया जाये।
Post A Comment:
0 comments: