बता दें कि जिला में उपायुक्त की अध्यक्षता में एसईएसटीएफ गठित की गई हैं, जोकि इस दिशा में प्रभावी कदम उठाते हुए गंदा पानी छोडऩे वाली इकाईयों के खिलाफ सख्ती से निपटना सुनिश्चित कर रही है। डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि जब गंदा पानी ड्रेनों से होकर यमुना में नहीं जाएगा तो पानी की गुणवता में निरतंर सुधार होगा।
डीसी विक्रम सिंह अधिकारियों की बैठक ले रहे थे और जिला में सभी आवश्यक उपायों को सुनिश्चित करने के लिए सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों दिशा-निर्देश भी दे रहे थे।
डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार इस मामले में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिला में सीवरेज प्रणाली की जांच करते हुए लाईनों को भी चैक किया जाए, जहां पर नई लाईन डालने की जरूरत है, वहां अमरूत योजना के तहत इस कार्य को निर्धारित समयवधि में पूरा किया जाए।
उन्होंने कहा कि एनजीटी द्वारा यमुना नदी तक किसी भी रूप में कैमिकलयुक्त या गंदा पानी ना पहुंच पाए, इसके लिए यमुना एक्शन प्लान बनाया गया है, जिसके चलते को हमें जिला की तीनों ड्रेनों में हर हाल में प्रदूषित पानी पर रोक लगानी है और पानी की गुणवत्ता में सुधार भी लाना है। डीसी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को इस मामले में त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए और संबंधित इकाईयों पर नियमानुसार कार्रवाई की बात दोहराई।
डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि सीवरेज पानी को एसटीपी से शोधन करते हुए उसे बागवानी, सिंचाई सहित औद्योगिक इकाईयों में इस्तेमाल किया जाए, जबकि नहरी पानी को पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
हमें नदियों तक पहुंचने वाले प्रदूषित पानी पर रोक के लिए विशेष कार्य योजना बनाते हुए कार्य को मूर्त रूप देना है। हमें यह तय करना होगा कि जिला की ड्रेनों में किसी भी तरह प्रदूषित पानी ना पहुंच पाए। समीक्षा बैठक में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिला अधिकारी स्मिता कनोडिया ने एक-एक करके विभाग जानकारी दी।
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