वहीं वे जिस केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव से पीएलपीए एक्ट से छेडछाड़ न करने की गुहार लगा रहे है, शायद राव साहब को यह तक नही मामूल कि भूपेन्द्र यादव व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर तो हरियाणा विधानसभा द्वारा संशोधित पीएलपीए एक्ट को जमीन पर उतारने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगा चुके है। यह दूसरी बात है कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती व पर्यावरण तथा अरावली को बचाने के लिए लड़ रहे प्रतिबद्ध लोगों की वजह से वे कामयाब नही हो पाये है।
विद्रोही ने कहा कि चाहे केन्द्र की मोदी सरकार हो या हरियाणा की भाजपा खट्टर सरकार, यदि अरावली को सबसे बड़ा खतरा है तो यह इन्ही संघी सरकारों से है जिसका राव इन्द्रजीत सिंह खुद भी हिस्सा है। केन्द्र व हरियाणा सरकार तो गुरूग्राम व फरीदाबाद की अरावली व वन क्षेत्र की जमीन भू-माफिया व बिल्डरों को अप्रत्यक्ष रूप से देने के लिए तो पंजाब भूमि-सरंक्षण अधिनियम एक्ट 1900 में बदलाव के लिए हरियाणा विधानसभा में 2019 में ही संशोधन एक्ट पारित करवा चुकी है।
पंजाब भूमि सरंक्षण अधिनियम 1900 एक्ट में संशोधन करके संघी अरबो रूपये कमाने का खेल शुरू कर चुके है। अब वे इस फिराक में है कि किस तरह सुप्रीम कोर्ट का अवरोध हटाकर अपना उल्लू सीधा करने अरावली की पहाडी व वन क्षेत्र की जमीन पर भू-माफियों का कब्जा करवाया जाये।
विद्रोही ने आरोप लगाया कि गुरूग्राम व नूंह जिले में बनने वाली कथित जंगल सफारी परियोजना भी अरावली व वन क्षेत्र की जमीन रिसोर्ट, पर्यटन केन्द्रों, होटलों के नाम पर धन्नासेठों को सौंपकर अरावली क्षेत्र व अहीरवाल की संस्कृति व पर्यावरण को बर्बाद करने का षडयंत्र है।
जो कार्य संघी सरकार पीएलपीए एक्ट 1900 में संशोधन करके सुप्रीम कोर्ट के अवरोध के कारण पूरा नही कर सकी, वह जंगल सफारी परियोजना के नाम पर अरावली क्षेत्र की पहाडी जमीन को हडपने व वन क्षेत्र की हरियाली को नष्ट करके किया जायेगा।
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