फरीदाबाद- शहर में होली के आस -पास अफवाह थी कि सोमवार को फरीदाबाद सहित गुरुग्राम, मानेसर नगर निगम चुनावों की घोषणा हो सकती है लेकिन सोमवार ही नहीं मंगलवार भी आज बीतने वाला है और निगम चुनावों की खबर का कोई अता पता नहीं है। अब संभावित उम्मीदवारों के चेहरे और लटकते जा रहे हैं। फरीदाबाद नगर निगम चुनाव लगभग सवा साल से लटके हैं और निगम चुनावों की तैयारी कर रहे तमाम संभावित उम्मीदवार कंगाल हो चुके हैं। तमाम त्योहारों पर अपने क्षेत्र में होर्डिंग्स बैनर, अपने क्षेत्र के लोगों को कोई धार्मिक यात्रा पर ले जा रहा था तो कोई दीवाली और होली मिलन जैसे कार्यक्रम का आयोजन कर जनता को अपनी तरफ खींच रहा था लेकिन अब ऐसे तमाम संभावित उम्मीदवारों में से लगभग 70 फीसदी उम्मीदवार कंगाल हो चुके हैं।
शहर में इस बार मेयर का डायरेक्ट चुनाव होगा और संभावित मेयर उम्मीदवार की बात करें तो कई राजनीतिक पार्टियों के नेता दो साल से तैयारी कर रहे थे और इनमे तो कई होर्डिंग , बैनर, मीडिया पर इतना खर्च कर चुके हैं कि उतने में नए मॉडल फॉर्च्यूनर आ जाती। मेयर का चुनाव लड़ने वाले संभावित उम्मीदवार को पूरे शहर में और कई विधानसभा क्षेत्रों में होर्डिंग पोस्टर लगवाना होता है और कइयों ने ऐसा किया भी लेकिन अब कइयों के लटके चेहरे आपको देखने के लिए मिल जायेंगे जिनका ज्यादा माल चला गया है।
पिछले निगम चुनाव यानी 2017 में 40 वार्ड थे और भाजपा के 30 से ज्यादा पार्षद जीते थे लेकिन अब शहर में चर्चाएं हैं कि लगभग 20 निवर्तमान पार्षद चुनाव लटकने से अपनी पार्टी के बड़े नेताओं से खुश नहीं हैं जैसा कि चर्चाएं हैं कि कुछ निवर्तमान पार्षद अब अपनी पार्टी के बड़े नेताओं की रैलियों का अब चुपचाप बहिष्कार करेंगे। हिम्मत जबाब दे चुकी है। कुछ निवर्तमान पार्षद इतना हिम्मत हार चुके हैं कि कहते हैं कि लगता है अब नगर निगम चुनाव 2024 लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद ही करवाए जाएंगे। ऐसे तमाम निवर्तमान पार्षद फिलहाल खुलकर या मीडिया के सामने खुलकर इसलिए नहीं बोल रहे हैं क्यू कि उन्हें लगता है कि बड़े नेताओं तक ऐसी जानकारी पहुँची तो टिकट पर कैंची चल जाएगी।
कांग्रेस की बात करें तो फरीदाबाद ही नहीं पूरे हरियाणा में 9 साल से पार्टी का संगठन नहीं है और आम आदमी पार्टी भी संगठन भंग कर चुकी है इसलिए दोनों पार्टियों के नेता इधर उधर भटक रहे हैं। जेजेपी ने अपना संगठन थोड़ा मजबूत किया है जबकि सत्ताधारी भाजपा के पास मजबूत संगठन है और संगठन के बलबूते ही पार्टी लोकसभा , विधानसभा और पिछले निगम चुनावों में काफी अच्छा प्रदर्शन कर चुकी है लेकिन अब निगम चुनाव लटकने से भाजपा के तमाम कार्यकर्ता निराश होने लगे हैं और अपनी पार्टी से नाराज भी होने लगे हैं।
आज सोशल मीडिया पर अफवाह फ़ैली कि नगर निगम चुनाव नवम्बर में होंगे जिसके बाद संभावित उम्मीदवारों के फोन आने लगे लेकिन अभी हम इस खबर की कोई पुष्टि नहीं कर रहे हैं। अगर निगम चुनाव अप्रैल में करवाए जाते हैं तो लगभग 10 दिन में कोई हलचल दिख सकती है। मई में शायद ही चुनाव करवाए जाएँ क्यू कि एक तो गर्मी का महीना होता है और शहर में पानी की समस्या के लिए मटका फोड़ प्रदर्शन शुरूं हो जाता है और एक दो महीने के लिए कई अन्य राज्यों के लाखों लोग अपने गांव चले जाते हैं।
जुलाई में भी शायद ही करवाए जाएँ क्यू कि जुलाई से लेकर सितम्बर तक शहर के तमाम हिस्से दुसरे हिस्सों से कट जाते हैं, क्यू कि ये शहर आधे घंटे की तेज बारिश नहीं झेल पाता। सेक्टर हों या कालोनियां हर जगह की सड़कें तालाब बन जाती हैं इसलिए सत्ताधारी पार्टी इन दिनों में चुनाव करवाने का रिस्क शायद ही ले। इसके बाद यानी अक्टूबर नवम्बर में लोकसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर होंगी और मई जून में नई सरकार बनेगी फिर जुलाई आ जाएगा और वही जलभराव वाला टेंशन फिर दो महीने के अंदर विधानसभा चुनाव होंगे और समय मिलना मुश्किल है। शायद इसलिए कुछ लोग अब कहने लगे हैं कि शायद नगर निगम चुनाव अब नवम्बर 2024 के बाद ही करवाए जाएँ। वैसे इन बातों पर और सत्ताधारी निवर्तमान पार्षदों की नाराजगी दूर करने पर अगर सरकार ने मनन किया तो जल्द चुनाव करवाने का प्रयास करेगी।
तस्वीर नगर निगम सदन की पुरानी बैठक की जब शहर के पार्षद अपने क्षेत्र की संसयाएं रखते थे और उन्हें दूर करवाते थे लेकिन अब शहर भगवान् भरोसे है, सड़कों के गड्ढे और बढ़ते जा रहे हैं, ऐसी रूम में बैठे अधिकारी कभी नहीं समझ सकते शहर की समस्याएं न कर सकते हैं निदान, सत्ताधारी पार्टी के प्रति शहर के लोगों का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है
Post A Comment:
0 comments: