फरीदाबाद। हाल ही में बनारस में आयोजित पांचवीं नेशनल मास्टर चैम्पियनशिप हैडबाल में हरियाणा को नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल दिलाने वाली एसपीओ किरण बाला को लंबे समय से स्थायी नौकरी की दरकार है। वह आर्थिक परेशानियों के सामने बेबस है। मई माह में फिनलैंड में आयोजित होने वाले यूरोपियन मास्टर गेम में वह देश का प्रतिनिधित्व करने का सपना रखती है, मगर यूरोपियन मास्टर गेम में चयन होने के बावजूद भी किरण आर्थिक स्थिति के कारण वहां नहीं जा सकेगी। छह बार नेशनल लेवल पर अपनी अलग पहचान बनाने वाली एसपीओ किरण बाला को मानदेय के तौर पर महज 18000 रुपये ही मानदेय मिलता है। जिसमें उसे अपने परिवार के अलावा स्वयं के खेल के अभ्यास पर भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में उसके पास फिनलैंड जाने तक के पैसे नहीं है। अनुमानित तौर पर इस खेल टूर पर एक खिलाड़ी का खर्च लगभग दो लाख रुपये आएगा। बड़ी बात यह है कि किरण बाला के साथ टीम में खेलने वाली अधिकांश खिलाड़ी बड़ों पदों पर तैनात हैं, जबकि किरण महज एक सिपाही के तौर पर अपनी स्थाई नियुक्ति चाहती है। तमाम काबिलियत एवं उपलब्धियों के बावजूद भी उसके दर्द को कोई नहीं समझ रहा है। किरण का सपना है कि वह देश के लिए गोल्ड लेकर आए, मगर फिलहाल वह अभ्यास करने की बजाय अपनी आजीविका के भंवर में फंसी हुई है।
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ये हैं किरण की उपलब्धियां:-
किरण बाला की उपलब्धियों को देखे तो वह वर्ष 2002 में आयोजित 30वीं स्टेट हैंडबॉल चैम्पियनशिप में प्रथम, वर्ष 2003 में आयोजित हरियाणा स्टेट गेम में भी प्रथम, 31वें स्टेट गेम में भी प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी है। इसके अलावा स्पोर्ट्स एवं युवा खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित खेलों में दूसरा स्थान प्राप्त करने के साथ-साथ जूनियर नेशनल हैंडबॉल मेंं तृतीय स्थान पर रही टीम का हिस्सा रह चुकी है। किरण बाला अब तक एक दर्जन से अधिक बार स्टेट एवं छह बार नेशनल चैम्पियनशिप में हिस्सा ले चुकी है। हैडबाल एवं बास्केट बाल में नेशनल लेवल पर अलग पहचान बनाने वाली किरण बाला एथलेटिक्स में रिले रेस, ट्रिपल जम्प, 100 मीटर बाधा दौड़ में नेशनल लेवल की खिलाड़ी है।
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स्थाई नौकरी की तलाश:-
फरीदाबाद में बतौर एसपीओ कार्यरत किरण बाला को अपना खेल आगे बढ़ाने के लिए वर्तमान में एक सरकारी नौकरी की दरकार है। हालांकि वह पुलिस में अधिकारी बनाने का सपना रखती थी, मगर कभी औद्योगिक सुरक्षा बल में तैनात रही किरण वर्तमान में महज एक एसपीओ के तौर की अपना गुजारा कर रही है। यदि प्रदेश सरकार उसकी उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए उसे स्थाई सरकारी नौकरी दे तो वो और भी बड़ा मुकाम हासिल कर सकती है।
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