डा. सुमित्रा मिश्रा ने सी.आर.एम. व एस.एम.एम. योजनाओ के बारे में विस्तृत रूप से सभी प्रतिभागियों से चर्चा की। कृषि महानिदेशक ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
अध्यक्ष डा. एम.एम. कुट्टी ने प्रदेश के सभी उपायुक्तो को आगामी खरीफ सत्र में पराली प्रबंधन के लिए निर्देश दिए कि इस बार किसी भी जिले में एएफएल की कोई लोकेशन नहीं आनी चाहिए, बल्कि मशीनों व इडस्ट्रीयों के सहयोग से सभी हर हालत में फसल अवशेष प्रबंधन करवाया जाए, जिससे हरियाणा सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओ से किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके और प्रदूषण से भी मुक्ति मिल सके।
उन्होने बताया कि पूरे देश में हरियाणा ऐसा प्रथम राज्य है, जिसने 13 फसलों के साथ-साथ पराली को भी एम.एस.पी. पर खरीदने का बीढा उठाया है। इन-सीटू व एक्स-सीटू स्कीम के द्वारा किसानों को 1000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से सहायता राशि अनुदान स्वरूप दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि वैस्ट डिकम्पोजर का भी किसानो द्वारा प्रयोग करने का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि इसके प्रयोग से फसल प्रबंधन किया जा सके।
उपायुक्त नेहा सिंह ने कृषि, राजस्व विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि इस बार जिला पलवल में एक भी पराली जलाने की घटना नहीं आनी चाहिए, जिसके लिए कृषि एवं संबंधित विभाग समय-समय पर आई.ई.सी. गतिविधि आयोजित करके किसानों को जागरूक करें।
उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा गांव, खंड व जिला स्तर की गठित कमेटी भी फसल अवशेष प्रबंधन के लिए बारिकी से नजर रखेंगी, ताकि जिले को हरियाणा प्रदेश में अव्वल बनाया जा सके। उन्होंने जिला के सभी किसानों से भी आह्वान किया है कि वे पराली न जलाकर फसल अवशेष प्रबंधन कर सरकार की योजना का लाभ उठाएं।
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