मेले में एक ओर जहां विभिन्न देश-प्रदेश के आए बुनकर, शिल्पकार अपनी-अपनी कला का हुनर प्रदर्शित कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विश्व के विभिन्न देशों व भारत के अलग-अलग प्रदेशों से आए लोक कलाकार भी अपने-अपने अंदाज में लोकगीतों व नृत्य का बेहतरीन प्रदर्शन कर मेले में आए पर्यटकों का खूब मन लुभा रहे हैं।
इसी क्रम में सूरजकुंड मेला की छोटी चौपाल पर शुक्रवार को उत्तरप्रदेश के बृज भूमि मथुरा की देव नगरी वृंदावन से आए उमाशंकर देसला गु्रप ने मयूर नृत्य की भव्य प्रस्तुति देकर छोटी चौपाल पर बैठे पर्यटकों को मंत्र मुग्ध कर दिया।
वृंदावन के कलाकारों ने बरसाने की कुंज गलिन में मोर बन आयो रसिया व राधे अलबेली सरकार जपे जा राधे राधे और छम छम नांचे राधा प्यारी जब मोरा बनें मुरारी तथा श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारे है नाथ नारायण वासुदेवा... बोल के भक्तिपूर्ण गीतों की प्रस्तुति पर नृत्य कर छोटी चौपाल पर बैठे सभी पर्यटकों को भक्ति भाव में विभोर कर दिया। इन गीतों की प्रस्तुतियों से मेला की छोटी चौपाल का माहौल भक्तिमय हो गया।
वृंदावन से आए उमाशंकर देसला गु्रप ने मयूर नृत्य के माध्यम से सभी को यह संदेश दिया कि राधा और कृष्ण का मिलना तो एक बहाना था, उनको प्रेम का मतलब समझाना था। इसी प्रकार पड़ौसी राज्य राजस्थान के कलाकारों ने केसरिया बालम पधारो जी म्हारे देश की सुंदर प्रस्तुति देकर मेले में आए पर्यटकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। रोहतक से आए यशपाल एंड पार्टी ने हरियाणवी फोक आर्केस्ट्रा की सुंदर प्रस्तुति देकर लोगों को प्रफुल्लित कर दिया।
इस अवसर पर छोटी चौपाल पर निदेशक कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा महावीर कौशिक, आर्ट एंड कल्चर्ल अधिकारी रेणुका हुड्डïा, डा. दीपिका, मंच संचालक राज आर्य व कर्ण लठा सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।
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