चंडीगढ़, 11 दिसंबर - हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), प्रशांत कुमार अग्रवाल ने सभी पुलिस आयुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश देते हुए कहा कि आपराधिक गतिविधियों और लक्षित हत्याओं में शामिल पाए गए आपराधिक तत्वों के बारे में खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए तुरंत एक मजबूत तंत्र स्थापित करें।
डीजीपी आज हरियाणा पुलिस अकादमी, मधुबन में राज्य स्तरीय क्राइम समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने गांवों व कस्बों से ऐसे सभी तत्वों के बारे में जानकारी एकत्र करने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया ताकि ऐसे बदमाशों के बारे में एक आपराधिक खुफिया नेटवर्क प्रणाली पुलिस को आसानी से उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि पुलिस ऐसे लोगों और गिरोहों के सोशल मीडिया हैंडल पर भी कड़ी नजर रखेगी।
बैठक में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशकों सहित सभी रेंज के पुलिस महानिरीक्षक भी मौजूद रहे।
हरियाणा को अपराध मुक्त और नशा मुक्त प्रदेश बनाने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए डीजीपी ने सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे राज्य भर में नशीले पदार्थों की तस्करी और गैंगस्टर गतिविधियों में संलिप्त बड़ी मछलियों की पहचान करके मादक पदार्थों की रोकथाम व आपराधिक तत्वों पर अंकुश लगाने के लिए एक परिणामोन्मुख रणनीति अपनाते हुए कार्य करें।
अपराध परिदृश्य की गहन समीक्षा करते हुए उन्होंने हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, और स्पेशल टास्क फोर्स सहित सभी पुलिस इकाइयों से आग्रह करते हुए कहा कि प्रदेश में मादक पदार्थों की तस्करी पर नकेल कसने, अपराध और आपराधिक तत्वों का पूरी तरह से खत्म करने व कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला पुलिस के साथ मिलकर कार्य करे। साथ ही अवैध हथियारों की तस्करी को रोकने, नशा सप्लाई करने वाले अन्य फरार लोगों को गिरफ्तार करने और लंबित मामलों को जल्द से जल्द सुलझाने के भी निर्देश दिए। सभी जिलों के एसपी और पुलिस आयुक्तों को अधिक सक्रिय होते हुए बदमाशों और आपराधिक तत्वों, चाहे वे जो भी हों, उनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए।
उन्होंने साइबर क्राइम की स्थिति की समीक्षा करते हुए साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों का भी जायजा लिया। आज साइबर अपराध न केवल व्यक्तिगत तौर पर बल्कि सरकारी क्षेत्र के लिए भी खतरा बन गया है, और राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डाल रहा है। उन्होंने कहा कि नए साइबर थाने स्थापित करने के साथ ही साइबर अपराध से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए पूरे पुलिस विभाग को मजबूत किया जा रहा है। बैठक में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि हरियाणा पुलिस द्वारा अब तक साइबर धोखाधड़ी की लगाभग 43 करोड़ रुपये की राशि रिकवर/ब्लाॅक की जा चुकी है।
डीजीपी ने सजा दर की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को संबंधित अदालतों में समन्वित प्रयासों और प्रभावी ‘पैरवी‘ से सजा की दर में और सुधार लाने के निर्देश दिये। साथ ही सभी उद्घोषित अपराधियों, बेल जम्पर्स और अन्य भगौड़ों की गिरफ्तारी को प्राथमिकता देने और सक्षम प्राधिकारी के माध्यम से उनकी अवैध संपत्ति की कुर्की की प्रक्रिया शुरू करने के भी निर्देश दिये।
बैठक में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, सीआईडी आलोक मित्तल ने सुझाव दिया कि आपराधिक तत्वों पर पैनी नजर रखने के लिए हिंसक अपराध में शामिल उद्घोषित अपराधियों (पीओ) की एक अलग सूची बनाई जानी चाहिए।
बैठक में उपस्थित अधिकारियों ने सजा दर में सुधार, वीवीआईपी की सुरक्षा, जांच प्रक्रिया, गैंगस्टरों व नशा तस्करों पर नकेल कसने आदि के संबंध में अपने सुझाव दिए। इसके अतिरिक्त राज्य में सीसीटीवी कवरेज बढ़ाने से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
बैठक में एडीजीपी सीआईडी आलोक मित्तल, एडीजीपी एचएसएनसीबी श्रीकांत जाधव, एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर संदीप खिरवार, एडीजीपी साउथ रेंज रवि एम किरण, निदेशक एचपीए मधुबन सीएस राव, सीपी गुरुग्राम कला रामचंद्रन, एडीजीपी रोहतक रेंज ममता सिंह, सीपी फरीदाबाद विकास अरोड़ा, आईजी आधुनिकीकरण अमिताभ ढिल्लों, आईजी कानून व्यवस्था संजय कुमार, आईजी सुरक्षा सौरभ सिंह, आईजी हिसार रेंज राकेश कुमार आर्य, आईजी एसटीएफ सतीश बालन, आईजी करनाल रेंज सतिंदर गुप्ता सहित सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक भी उपस्थित थे।
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