इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज आवश्यकता है कि संत महापुरुषों के विचारों का प्रचार समाज में किया जाए। समाज को भी महापुरुषों की शिक्षा का अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संतों की शिक्षाएं संपूर्ण समाज के लिए होती है ना कि किसी विशेष वर्ग के लिए। महर्षि वाल्मीकि जी वेदों के ज्ञाता थे। रामायण के माध्यम से दी गई उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महापुरुषों का विचार है कि समाज में समानता, समता और समरसता आनी चाहिए। प्रदेश सरकार ने भी इस दिशा में काम किया है। जो व्यक्ति या समाज पीछे रह गया है उसे आगे बढ़ाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। अंत्योदय उत्थान योजना के जरिये अंतिम व्यक्ति तक लाभ दिया जा रहा है। प्रदेश में अब योजनाओं का लाभ लेने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ते, ज्यादातर योजनाओं का लाभ लोगों को घर द्वार पर मिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर उपायुक्त को निर्देश दिए कि कार्यक्रम में आए जिन परिवारों को अभी तक गैस कनेक्शन नहीं मिले हैं, उनके लिए तत्काल इसकी व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि प्रदेश में नौकरियों में ठेकेदारी प्रथा को पूर्णत समाप्त करेंगे। इसके लिए सरकार ने कौशल रोजगार निगम बनाया है। बजाए ठेकेदारों के अब रोजगार निगम के माध्यम से नौकरी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि समाज के लोग समितियां बनाकर सफाई व्यवस्था के ठेके लेंगे तो उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी और 50 फीसदी ठेके उन्हें दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गोहाना के सेक्टर 7 में अगर कोई जमीन वाल्मीकि समाज के नाम से थी तो उसे समाज को वापस दिया जाए।
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