विद्रोही ने बताया कि सिविल सेवा परीक्षा में जिस महिला ने लिखित परीक्षा में सबसे ज्यादा 573 नम्बर लेकर टॉप किया था, उसे 200 नम्बर के साक्षात्कार में केवल 34.29 अंक देकर मैरिट में चौथे स्थान पर धकेल दिया गया। वहीं लिखित परीक्षा में 450 से 573 अंक पाने वाले जिन आवेदकों का सिविल जज के रूप में चयन हुआ है, उनमें लिखित परीक्षा में 500 से 531 तक अंक पाने वाले उम्मीदवारों का चयन इसलिए नही हुआ है क्योंंकि 200 नम्बर के साक्षात्कार में उन्हे केवल 6.86 से 29 अंक देकर मैरिट लिस्ट से बाहर कर दिया और लिखित परीक्षा में उनसे कम 450 तक अंक पाने वालाों को साक्षात्कार में ज्यादा अंक देकर सिविल जज बना दिया गया। विद्रोही ने सवाल किया कि हरियाणा न्यायिक सेवा लिखित परीक्षा में जिन उम्मीदवारों को 500 से 531 अंक प्राप्ते करके अपने को सिविल जज बनने योग्य दिखाया था, उनमें से अधिकांश 200 अंक के साक्षात्कार में जान-बूझकर 6.89 से 29 अंक देकर सुनियोजित ढंग से योग्य होते हुए मैरिट लिस्ट से बाहर क्यों कर दिया गया? क्या यह सारा खेल बिना मोटा माल के संभव है? 200 अंक के साक्षात्कार में जिन उम्मीदवारों ने पर्दे के पीछे संघीयों को मोटा दिया, वे साक्षात्कार में ज्यादा नम्बर पाकर सिविल जज बन गए और जिनके पास संघ्ीयों को देने के लिए मोटा माल व सिफारिश नही थी, वे योग्य होते हुए भी सिविल जज बनने के अयोग्य हो गए।
विद्रोही ने आरोप लगाया कि हरियाणा में व्हाईट कॉलर जोब की नौकरियोंं की हर नियुक्तियों में ऐसी ही धांधली हो रही है। सिविल जज चयन में लिखित परीक्षा व साक्षत्कार में दिये नम्बरों को खेल चीख-चीख कर बता रहा है कि हरियाणा में बडी नौकरियां संघीयों को मोटा माल देकर दी जा रही है और भाजपा सरकार का सरकारी नौकरी मैरिट, पारदर्शिता, ईमानदारी से देने को दावा महाझूठ जुमला है। वास्तविकता यही कि भाजपा खट्टर सरकार में नौकरियां बड़े-बड़े सूटकेसों व बोरो में भर-भरकर पैसे देने से मिलती है। इसके कई उदाहरण एचएसएससी, एचपीएससी की भर्तीयों में सामने भी आ चुका और मोटा माल लेने वाले पकडे भी जा चुके, पर सत्ता दुरूपयोग से छोटी मछलियों को फंसाकर मोटा माल लेकर हरियाणा में सरकारी नौकरी बेचने वाले संघीयों को बचा लिया गया।
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