क्या था मामला-
नगर निगम फरीदाबाद में 200 करोड़ रुपये के बिना काम भुगतान घोटाले का मामला विधायक नीरज शर्मा ने विधानसभा के बजट सत्र में उठाते हुए 22 मार्च को प्रण लिया था कि जब तक बिना काम भुगतान घोटाले में एक भी आरोपी को नहीं पकड़ा जाएगा जब तक वे अपने अंग पर सिले हुए कपड़े धारण नहीं करेंगे। इसके अलावा पैरों में जूते भी नहीं पहनेंगे। इस प्रण के बाद ही राज्य सरकार ने पहले 200 करोड़ रुपये घोटाले के मुख्य आरोपी सतबीर ठेकेदार को गिरफ्तार किया और बाद में शुक्रवार देर सायं मुख्य अभियंता डीआर भास्कर को गिरफ्तार किया। भास्कर ने इससे पहले अग्रिम जमानत याचिका भी दायर की थी मगर जिला अदालत ने इसे अस्वीकार किया।
कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने सरकार से पत्र लिखकर 17 ए की अनुमति की मांग रखी थी--------
विधायक नीरज शर्मा का कहना था कि सिर्फ मुख्य अभियंता दौलतराम भास्कर के बाद अब दूसरे मुख्य अभियंता रमन शर्मा एंव जेई दीपक को विजिलेंस विभाग ने गिरफ्तार किया है लेकिन सिर्फ इनको पकड़कर ही भ्रष्टाचार का खात्मा नहीं होगा। भ्रष्टाचार की जड़ों तक पहुंचकर बड़े मगरमच्छ काबू करने होंगे। कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने कहा की स्टेट विजिलेंस ने सरकार से 17 ए की अनुमति मांगी हुई है सरकार जल्द से जल्द अनुमति दे ताकि बडे मगरमच्छो को काबू किया जा सके। इसके बाद ही सरकार द्धारा विजिलेंस को 17 ए अनुमति दी थी।
विधायक नीरज शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा की यह पैसा जनता का पैसा है जिसको यह खा गए, यही कारण है की आज फरीदाबाद विकास के लिए तरस रहा है। विधायक नीरज शर्मा ने कहा की रामचरित मानस में लिखा है विनय ना मानत जलध जड़ गए तीन दिन बीति। बोले राम सकोप तब भय बिनु होय ना प्रीति। जबतक इन दुष्टो को सख्त सजा नही मिलेंगी, तबतक आने वाले दुष्ट भी ऐसा कार्य करने की जरूरत नही करेगे। भ्रष्टाचार के इस खेल में बड़े अधिकारी-राजनेता भी शामिल रहे हैं। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो इन सभी पर शिकंजा कसे ताकि भविष्य में भ्रष्टाचार करने वालों के पैर कांप जाएंअब जब विजिलेंस द्धारा आईएएस सोनल गोयल को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया है लेकिन सोनल गोयल द्धारा वीआईपी मूवमेंट का बोलकर जांच में शामिल होने नही पहुंची। इसपर विधायक नीरज शर्मा का कहना था कि जांच में शामिल ना होना ऐसा प्रतीत करता है कि दाल मंे कुछ काला है क्योकि वी.आई.पी मूवमेंट तो होती ही रहेगी वह अपनी जगह किसी अन्य अधिकारी को नियुक्त करके जांच में शामिल हो सकती थी जोकि वह नही हुई।
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