फरीदाबाद , 24 अगस्त :- पीएम मोदी ने आज फरीदाबाद में एशिया का सबसे बड़ा प्राइवेट अस्पताल जनता को समर्पित किया और इस मौके पर उन्होंने हरियाणा सरकार की जमकर तारीफ़ करते हुए कहा कि हरियाणा के हर घर में नल से जल पहुँच गया है। पीएम मोदी के इस सम्बोधन के बाद फिर सवाल उठ रहे हैं और कहा जा रहा है कि हरियाणा के नेता बार-बार पीएम को गुमराह करते हैं। असलियत में ये स्कीम कुछ लोगों तक ही पहुँची है। फरीदाबाद के अधिकतर लोग खरीदकर पानी पीने पर मजबूर हैं , रैनीवेल का पानी पीने लायक नहीं होता। शहर में हजारों पानी माफिया चांदी कूट रहे हैं।
अनखीर गांव में पिछले लगभग 8 वर्षों से ठप्प पड़ी हुई फरीदाबाद नगर निगम की ट्यूबवेल नंबर-3 की वजह से पेयजल आपूर्ति का संकट झेल रहे लोगों द्वारा केंद्रीय राज्यमंत्री एवं फरीदाबाद के सांसद चौधरी कृष्णपाल गुर्जर से भी गत 15 मई को मिलकर अपनी समस्या से अवगत करवाने के बावजूद भी इस समस्या का समाधान आज तक नहीं किया गया है । इस संबंध में फरीदाबाद नगर निगम के संबंधित अधिकारियों की लापरवाही बदस्तूर जारी है। लगता है जिस प्रकार यह ट्यूबवेल नकारा है उसी प्रकार फरीदाबाद नगर निगम के संबंधित अधिकारी भी नकारा ही हैं। पूर्व जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी एवं जलापूर्ति की समस्या से जूझ रहे लोगों में शामिल तिलक बिधूड़ी ने बताया कि वह अपने गांव के संबंधित लगभग 20 साथियों सहित गत 15 मई को केंद्रीय राज्य मंत्री चौधरी कृष्णपाल गुर्जर से इस समस्या को लेकर उनके स्थानीय सेक्टर -28 स्थित कार्यालय पर मिले थे। मंत्री श्री गुर्जर ने उनके सामने ही नगर निगम के अधीक्षण अभियंता ओमबीर को फोन करके इस समस्या का तुरंत समाधान करने बारे आदेश दिए थे। मंत्री ने एसई से कहा था कि अनखीर गांव को रेनीवेल जलापूर्ति योजना से जोड़ दो और सरकारी स्कूल परिसर में ठप्प पड़े हुए इस ट्यूबवेल नंबर-तीन की जगह पर नया ट्यूबवेल लगा दो। लेकिन तीन महीने से भी अधिक का समय बीत जाने पर भी इस समस्या के समाधान को लेकर फरीदाबाद नगर निगम के अधीक्षण अभियंता ओमबीर अब तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही अमल में नहीं ला सके हैं ।
वह अपने अधीनस्थ एवं सहयोगी अधिकारियों व कर्मचारियों और संबंधित ठेकेदार को साथ लेकर इस ट्यूबवेल का मुआयना तो कर के जा चुके हैं लेकिन इसकी जगह नई ट्यूबवेल लगाने की कार्यवाही अब तक शुरू ही नहीं की है। अब सवाल यह खड़ा होता है कि अब तक यह समस्या ज्यों की त्यों बरकरार है और संबंधित लगभग 5 दर्जन घरों में हर घर में 3 या 4 दिन बाद लगभग 1000 रुपए खर्च करके निजी वाटर टैंकर मंगवाना पड़ता है। नगर निगम अपनी ओर से पानी भेजने के लिए इनकार करते हुए पहले ही हाथ खड़े कर चुका है। मालूम नहीं कि नगर निगम के अधीक्षण अभियंता ओमबीर अब किस के आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
Post A Comment:
0 comments: