फरीदाबाद- देश भर में आज कांग्रेस ने मंहगाई बेरोजगारी के खिलाफ भाजपा सरकार पर हल्ला बोला। दिल्ली में कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं को हिरासत में लिया गया। फरीदाबाद में भी लघु सचिवालय के बाहर कांग्रेस ने प्रदर्शन किया लेकिन कांग्रेस के इस प्रदर्शन के चर्चे पूरे जिले में है क्यू कि जिला स्तर के इस प्रदर्शन में कांग्रेस 100 लोगों का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाई इसलिए कहा जा रहा है कि फरीदाबाद में कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है और यहाँ तक कि प्रदेश में कुछ वर्षों से कदम रखने वाली आम आदमी पार्टी से ज्यादा कमजोर हो गई है।
कांग्रेस के इस प्रदर्शन में सिर्फ कुछ नेता दिखे, कार्यकर्ता न के बराबर दिखे। आंकड़े लगाए जा रहे हैं कि जल्द पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं और उसके तुरंत बाद नगर निगम चुनाव हैं। पंचायत चुनाव में कई दर्जन गांव आते हैं और निगम में 45 वार्ड हैं। अगर एक-एक वार्ड से पार्षद एक संभावित उम्मीदवार भी प्रदर्शन में शामिल होता तो 45 लोग आते और पंच सरपंच के भी तीस-40 संभावित उम्मीदवार आते तो संख्या 90 के करीब पहुँच जाती और अगर ये अपने साथ पांच लोगो को भी लेकर आते तो संख्या 400 से ऊपर होती लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लगता है निगम और पंचायत चुनावों में कांग्रेस की टिकट से या कांग्रेस के समर्थन से चुनाव लड़ने वाले हैं ही नहीं।हवाई जहाज से उम्मीदवार मैदान में उतारे जायेंगे तो हाल बेहाल होगा। भाजपा फिर बाजी मार ले जाएगी और यही नहीं आज का हाल देख अब लोग ये भी कहने लगे हैं कि अगले विधानसभा चुनावों में हरियाणा के अन्य जिलों के नतीजे कुछ भी हो लेकिन फरीदाबाद के नतीजे ऐसे ही रह सकते हैं जैसे 2019 में थे।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस में कार्यकर्ताओं के अकाल के कारण फरीदाबाद में कांग्रेसियों की जीत का सूखा पड़ा है। अब भी वही हाल है। गुटबाजी के कारण हाल और बेहाल होता जा रहा है। सभी नेता एक साथ कभी दिखते ही नहीं। आज भी पूर्व विधायक ललित नागर, फरीदाबाद से पिछले चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे लखन सिंगला, पूर्व विधायक रघुवीर तेवतिया और बड़खल से पिछले चुनाव में उप विजेता रहे विजय प्रताप सिंह ही दिखे। बल्लबगढ़, एनआईटी से कोई बड़ा नेता नहीं दिखा। जो बड़े नेता आये थे उनके साथ कुछ ही लोग दिखे जबकि अगर ये कोई प्रीतिभोज वगैरा करते हैं तो माल पुआ खाने हजारों लोग पहुँच जाते हैं।
कहा जा रहा है कि हरियाणा प्रदेश कांग्रेस इसी महीने जिला अध्यक्षों की घोषणा करेगी। अगर फरीदाबाद को आगे बढ़ना है तो युद्ध स्तर पर संगठन में विस्तार करना पड़ेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 2024 में कांग्रेसियों के करोड़ों रूपये बहाने के बाद भी जीत मिलनी मुश्किल है। जनता बदल चुकी है। माल किसी और का खाती है और वोट किसी और को देती है और कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं का अभाव है और लोकसभा या विधानसभा चुनावों में बूथों पर किराए के लोग बैठाये जाते है जो कांग्रेस की भैंस और गहरे पानी में डुबो देते हैं। भाजपा के पास गली -गली में कार्यकर्ता ही नहीं किसी न किसी पद पर तैनात पदाधिकारी हैं जो दिल से मेहनत करते हैं और मतदान के दिन भूखे-प्यासे भले रह जाएँ लेकिन बूथ नहीं छोड़ते हैं जबकि कांग्रेस के किराए के बूथ कार्यकर्ता अच्छे-समोसे मंगाने और खाने में ही व्यस्त रहते हैं। कई अन्य चर्चाएं भी हैं। फिर कभी बताएँगे।
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