चंडीगढ़ 6 जुलाई 2022। हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल के सदस्यों की एक चिट्ठी सामने आई है, जिसमें उन्होंने लगभग तीन महीने पहले साफ कर दिया था कि काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए 50 से 80 हजार रिश्वत वसूली जा रही है। सदस्यों की चिट्ठी को स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने रद्दी की टोकरी में फैंक दिया था। मामले में एक जांच करवाकर कोई कार्रवाई नहीं की। कौंसिल के सदस्य रविंद्र चौपड़ा, पूर्व रजिस्ट्रार एवं सदस्य अरुण पराशर, सुरिंद्र सालवान, पंचकूला सेक्टर 10 निवासी भाजपा नेता बीबी सिंगल, पूर्व प्रधान कृष्ण चंद गोयल की हस्ताक्षरयुक्त यह चिट्ठी काउंसिल की पूरी कलई खोल रही है। इस चिट्ठी में सीधे तौर पर रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट्स पर हस्ताक्षर करने वाले कौंसिल के चेयरमैन धनेश अदलखा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए थे। चिट्ठी में कहा गया था धनेश अदलखा ने पूरे काउंसिल कार्यालय को अपने कब्जे में ले रखा है। कोई भी कर्मचारी उनकी इजाजत के बिना एक भी फाइल प्रोसेस नहीं करता। काउंसिल में आने वाली डाक, डायरी से लेकर नई रजिस्ट्रेशन एवं रिन्यूवल का पूरा काम धनेश अदलखा ने दो महिला कर्मचारियों को सौंप दिया है, जोकि काउंसिल के किसी भी सदस्य की बात नहीं सुनती और जब भी उनसे किसी फाइल के बारे में पूछा जाता है, तो एक ही जबाव मिलती है कि धनेश अदलखा से बात करो। इन सदस्यों ने स्वास्थ्य एवं गृहमंत्री अनिल विज से भी मुलाकात की थी। हरियाणा के फार्मासिस्ट प्रदेश सरकार से मांग कर रहे हैं कि फार्मेसी काउंसिल को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने वाले चेयरमैन धनेश अदलखा, रजिस्ट्रार राजकुमार वर्मा एवं उपप्रधान सोहन लाल कांसल को तुरंत प्रभाव से उनके पद एवं सदस्यता से बर्खास्त करके 6 साल तक उनके दोबारा चुनाव लडऩे पर भी रोक लगाई जाए।
अदलखा और कांसल ही करते थे बैंक आपरेट
काउंसिल के सदस्यों अरुण पराशर, बीबी सिंगल, केसी गोयल, रविंद्र चौपड़ा, सुरिंद्र सालवान ने बताया कि धनेश अदलखा को हरियाणा राज्य फार्मेसी परिषद के सदस्य के रूप में नामित होने के बाद 17 मार्च 2020 के बाद अध्यक्ष के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया था। राज्य सरकार के अनुसार धनेश अदलाखा को 17 मार्च 2020 के बाद से अध्यक्ष, हरियाणा राज्य फार्मेसी परिषद के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया है, इसलिए तब से अध्यक्ष के रूप में अवैध तौर पर काबिज हैं। सोहन लाल को राज्य द्वारा 6 मार्च 2019 के बाद न तो अध्यक्ष के रूप में और न ही उपाध्यक्ष के रूप में अधिसूचित किया गया था। हरियाणा राज्य फार्मेसी परिषद नियम 1951 (नियम 141) के अनुसार, बैंक पर सभी चेक पर हस्ताक्षर अध्यक्ष या और रजिस्ट्रार करते हैं, लेकिन धनेश अदलखा ने यह पावर रजिस्ट्रार की बजाय अपने और सोहन कंसल के पास ही रखी हुई थी। रजिस्ट्रार को फार्मेसी अधिनियम और हरियाणा राज्य फार्मेसी परिषद नियम 1951 के अनुसार कार्य करने की अनुमति नहीं दी।
2019 से 2020 तक बड़ी अनियमितताएं बरती
वर्ष 2019 से 2020 तक, लगभग 18 महीनों तक, उन छात्रों का कोई पंजीकरण नहीं हुआ, जो हरियाणा राज्य के बाहर से बारहवीं/फार्मेसी उत्तीर्ण हैं। आवेदकों के कई अभ्यावेदन के बावजूद 2019 से नए पंजीकरण के लिए कई आवेदन लंबित हैं, इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। कई बार आवेदकों को बिना कोई कारण बताए आवेदन प्राप्त करना बंद कर दिया जाता है, जिससे उन्हें परेशान किया जाता है और इस प्रकार नौकरियों के लिए कीमती समय और अवसरों को खो दिया जाता हैै। अध्यक्ष धनेश अदलखा अपनी मर्जी से कार्यालय चला रहे हैं। कई सीएम विंडोज़ पर शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन कोई जबाव नहीं दिया।
खूब भ्रष्टाचार किया गया
अरुण पराशर, बीबी सिंगल, सुरेंद्र सालवान, केसी गोयल ने अपने ब्यानों में बताया है कि हरियाणा में राज्य फार्मेसी काउंसिल में पंजीकृत होने के लिए 50 हजार से 80 हजार रुपये रिश्वत के रूप में देने पड़ते हैं, खासकर उन छात्रों को जिन्होंने हरियाणा राज्य के बाहर से बारहवीं/ फार्मेसी पास की है। 20 मार्च 2022 को हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने भ्रष्ट आचरण की ओर इशारा करते हुए फार्मेसी काउंसिल के कामकाज पर अपनी नाराजगी दर्ज करते हुए एक आदेश पारित किया था। रिकॉर्ड सीधे करने के लिए या कभी-कभी अदालतों के हस्तक्षेप पर छात्रों का नया पंजीकरण किया जाता है, लेकिन भेजा नहीं जाता है, केवल चयनित आवेदकों को पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है, बाकी को कार्यालय में रखा जाता है।
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