चंडीगढ़ 9 जुलाई 2022। हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में व्याप्त भ्रष्टाचार की परतें खुलने का सिलसिला जारी है। राज्य सूचना आयुक्त ने भी हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल की गतिविधियों पर सख्त टिप्पणी देते हुए चेयरमैन धनेश अदलखा से जबाव मांगा था। राज्य सूचना आयुक्त टीसी गुप्ता ने अपनी टिप्पणी में कहा कि जैसा कि हो सकता है, हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल जैसे नियामक कार्यालय में भ्रष्टाचार की सीमा से संबंधित ऐसी प्रथाओं के बारे में राज्य सूचना आयोग अपनी नाराजगी दर्ज करता है।
राज्य सूचना आयुक्त कार्यालय में 7 अक्टूबर 2021 को एक ईमेल के माध्यम से दिनेश शर्मा निवासी जिला पलवल, हरियाणा ने फार्मेसी प्रमाण पत्र के पंजीकरण के संबंध में शिकायत दी थी। प्राप्त होने पर शिकायत को संज्ञान और रिपोर्ट के लिए 12 अक्टूबर 2021 को राज्य फार्मेसी काउंसिल को भेजा था। उसके बाद जब मामले में कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई थी, तो हरियाणा राज्य फार्मेसी कांउसिल रजिस्ट्रार को सूचना आयुक्त के समक्ष पेश होने के लिए एक नोटिस जारी किया गया था। व्यक्तिगत रूप से 14 जनवरी 2022 या 18 जनवरी 2022 को वीसी के माध्यम से जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा। प्रतिवादी के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए और काउंसिल के लेखा अधिकारी सतपाल गर्ग ने जब यह प्रस्तुत किया गया था कि कोविड 19 महामारी के कारण, कार्यालयों की भौतिक क्षमता 50 प्रतिशत से कम थी और कुछ कर्मचारी कोविड 19 से भी पीडि़त थे, जिस कारण काम के निपटान की गति प्रभावित हुई। जबाव में सतपाल गर्ग ने यह भी कहा था कि शिकायतकर्ता का पंजीकरण प्रमाण पत्र पंजीकरण संख्या 42002 के साथ 15 सितंबर 2021 को बना दिया गया था।
आयोग ने अपनी आदेश में कहा कि हालांकि दस्तावेज़ के अवलोकन पर यह स्पष्ट है कि पंजीकरण प्रमाण पत्र पंजीकरण की तारीख 15 सितंबर 2021 दर्शाता है, लेकिन वास्तव में शिकायतकर्ता को यह जनवरी 2022 में ही दिया गया था। ऐसा लगता है कि स्वीकृत और बनाए जाने के बाद यह प्रमाण पत्र कार्यालय में या किसी अधिकारी के पास पड़ा था। मामले में देरी के कारणों के बारे में पूछे जाने पर प्रतिवादी ने कहा कि वर्तमान में आवेदकों को कार्यालय में बुलाने की बजाय राज्य फार्मेसी काउंसिल के चेयरमैन या सदस्य साथ ले जाते हैं और वह खुद ही यह प्रमाण पत्र भौतिक रूप से आवेदकों को वितरित कर देते हैं। सूचना आयुक्त ने जब यह पूछा गया कि किन नियमों/अनुदेशों के तहत यह प्रथा अधिकृत की गई, तो सतपाल गर्ग कोई भी जबाव नहीं दे पाए। इसके बाद सूचना आयुक्त ने चेयरमैन धनेश अदलखा को टेलीफोन पर इसकी पुष्टि की गई कि क्या वास्तव में उनके कार्यालय में इस प्रथा की पालन किया जा रहा है, तो उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। जानकारी के अनुसार धनेश अदलखा ने सूचना आयुक्त से टैलीफोन पर कहा था कि शायद कुछ आवेदकों को सर्टिफिकेट भौतिक तौर पर दिए जा रहे हैं। साथ धनेश अदलखा ने जनवरी 2022 में सूचना आयुक्त को आश्वासन दिया था कि इस प्रथा को तत्काल प्रभाव से बंद करवाकर स्पीड पोस्ट द्वारा इन पंजीकरण प्रमाणपत्रों के वितरण के संबंध में आदेश जारी किए जाएंगे, लेकिन 2 जुलाई 2022 को काउंसिल में भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ होने के बाद जिस तरह से उपप्रधान सोहन लाल कंसल से सर्टिफिकेट बरामद हुए, उससे स्पष्ट हो गया कि धनेश अदलखा ने केवल आश्वासन ही दिया था, उसे अमल में नहीं लाए।
सूचना आयुक्त ने आदेश में फार्मेसी काउंसिल जैसी नियामक कार्यालय में भ्रष्टाचार की सीमा से संबंधित ऐसी प्रथाओं के बारे में अपनी नाराजगी दर्ज करते हुए कहा कि काउंसिल को इस तथ्य के प्रति उत्तरदायी और जीवंत होना चाहिए कि फार्मेसी की दुकानों के मालिकों के व्यावसायिक हित, फार्मेसी के छात्रों के करियर की संभावनाएं सर्टिफिकेट पर ही टिकी हैं।
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