18 जून 2022- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान में कहा कि सशस्त्र सेनाओं में भर्ती की अग्निपथ योजना के खिलाफ देशभर में युवाओं में उपजा रोष स्वत: स्फूर्त व स्वभाविक विरोध है। इस विरोध के नाम पर भाजपा-संघीयों का विपक्ष पर भडकाने का आरोप लगाना ना केवल गलत आरोप है अपितु धरातल की वास्तविकता से मुंह मोडना भी है। विद्रोही ने कहा कि 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव मोदी-भाजपा-संघ ने युवाओं के भारी समर्थन के बल पर ही जीता था। जिस युवा शक्ति ने दो बार मोदीजी को देश का प्रधानमंत्री बनने का अवसर दिया है, वे युवा समझ चुके है कि विगत 8 सालों में मोदीजी के किए सभी दावे, वादे असत्य व जुमले थे। वहीं विगत 8 सालों की मोदीजी की सभी घोषित योजनाएं ऐसी तुगलकी योजनाएं है जो युवाओं व देश का भविष्य बर्बादी की ओर ले जाने वाली है। देशभर का युवा समझ चुका है कि मोदी राज देश की आर्थिक, सामाजिक उन्नति में बाधक है और यदि यह राज रहा तो सभी की बर्बादी तय है।
विद्रोही ने कहा कि मोदी-भाजपा-संघ ने सत्ता दुरूपयोग से विगत 8 सालों से विभिन्न जुमलों, वादों, दावों और साम्प्रदायिक उन्माद व नफरत की राजनीति करके युवाओं को बरगालाकर खूब मूर्ख बना लिया, पर अब वे संघी चालों में नही फंसने वाले। अग्निपथ योजना के तहत देशभर के युवाओं में उपजा रोष मोदी-भाजपा-संघ की षडयंत्रकारी राजनीति के खिलाफ एक तरह से युवाओं का ऐसा विद्रोह है जो मोदी-भाजपा सरकार का पतन करके देश में एक नई जनमुखी राजनीति की शुरूआत करेगा। अग्निपथ योजना के खिलाफ धरना, विरोध प्रदर्शन में हिंसा, अराजकता होना दुर्भाग्यपूर्ण है। लोकतंत्र में किसी भी विरोध-प्रदर्शन में हिंसा व आगजनी के लिए किचिंत मात्र पर स्थान नही हो सकता। युवा समझ ले कि हिंसा व आगजनी उनके आंदोलन को कमजोर करेगी व मोदी-भाजपा-संघी सरकार को दमन करने का मौका देगी। विद्रोही ने कहा कि मोदी-भाजपा-संघ की मूल प्रवृत्ति में ही फासीजम है। जब देश में फासीजम, साम्प्रदायिक उन्माद व नफरती प्रवृत्ति के संघीयों का राज है तो ऐसी स्थिति में किसी भी विरोध प्रदर्शन का शांतिपूर्ण व अहिसंक रहना और भी जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति में देशभर के युवा समझ ले कि जब तक मोदी-भाजपा-संघ सरकार को देश से उखाड़ नही फेकेंगे, तब तक न तो उनका और न ही देश का भविष्य सुरक्षित है। षडयंत्रकारी, साम्प्रदायिक उन्मादी, फासीस्ट संघीयों के खिलाफ युवाओं को लम्बी लडाई लडकर उन्हे देश के हर भाग से उखाड़ फेंकना होगा और यह सबकुछ गांधीवादी अहिसंक आंदोलन के रास्ते पर चलकर ही संभव होगा।
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